आइये जानते हैं पौराणिक आख्यानों के इन सात महामानवों के बारे में जिनके बारे में माना जाता है की वो पृथ्वी पर आज भी जीवित है।
वैसे तो हिन्दू पौराणिक कथाओं में बहुत सी रोचक और रहस्यमयी कहानियां हैं, मगर सबसे दिलचस्प वह मान्यता है जिसके मुताबिक महाभारत और रामायण काल के कई पात्र आज भी जीवित हैं। योग में जिन अष्ट सिद्धियों की बात कही गई है वे सारी शक्तियां इनमें विद्यमान है। यह सब किसी न किसी वचन, नियम या श्राप से बंधे हुए हैं और यह सभी दिव्य शक्तियों से संपन्न है।
‘अश्वत्थामा बलिर्व्यासो हनुमांश्च विभीषणः।कृपः परशुरामश्च सप्तैते चिरंजीविनः॥सप्तैतान् संस्मरेन्नित्यं मार्कण्डेयमथाष्टमम्।जीवेद्वर्षशतं सोपि सर्वव्याधिविवर्जित।।’इस श्लोक की प्रथम दो पंक्तियों का अर्थ है की अश्वत्थामा, बलि, व्यास, हनुमान, विभीषण, कृपाचार्य और भगवान परशुराम ये सात महामानव चिरंजीवी हैं। तथा अगली दो पंक्तियों का अर्थ है की यदि इन सात महामानवों और आठवे ऋषि मार्कण्डेय का नित्य स्मरण किया जाए तो शरीर के सारे रोग समाप्त हो जाते है और 100 वर्ष की आयु प्राप्त होती है।
1. कृपाचार्य (Kripacharya)
कृपाचार्य अश्वथामा के मामा और कौरवों के कुलगुरु थे। शिकार खेलते हुए शांतनु को दो शिशु प्राप्त हुए। उन दोनों का नाम कृपी और कृप रखकर शांतनु ने उनका लालन-पालन किया। महाभारत युद्ध में कृपाचार्य कौरवों की ओर से सक्रिय थे। कृप और कृपि का जन्म महर्षि गौतम के पुत्र शरद्वान के वीर्य के सरकंडे पर गिरने के कारण हुआ था। ये भी आदिकाल तक जीवित रहे।
2.विभीषण (Vibhishana)
रामायण के बारे में थोड़ा बहुत भी जानते होंगे तो विभीषण का नाम तो सुना ही होगा। राक्षस राजा रावण का छोटा भाई था विभीषण। विभीषण श्रीराम के अनन्य भक्त हैं। जब रावण ने माता सीता हरण किया था, तब विभीषण ने रावण को श्रीराम से शत्रुता न करने के लिए बहुत समझाया था। इस बात पर रावण ने विभीषण को लंका से निकाल दिया था। विभीषण श्रीराम की सेवा में चले गए और रावण के अधर्म को मिटाने में धर्म का साथ दिया। ये भी अमर माने जाते हैं।
3.अश्वत्थामा (Ashwathama)
अश्वथामा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र हैं। ग्रंथों में भगवान शंकर के अनेक अवतारों का वर्णन भी मिलता है। उनमें से एक अवतार ऐसा भी है, जो आज भी पृथ्वी पर अपनी मुक्ति के लिए भटक रहा है। ये अवतार है गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा का। द्वापरयुग में जब कौरव व पांडवों में युद्ध हुआ था, तब अश्वत्थामा ने कौरवों का साथ दिया था। धर्म ग्रंथों के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने ही ब्रह्मास्त्र चलाने के कारण अश्वत्थामा को चिरकाल तक पृथ्वी पर भटकते रहने का श्राप दिया था।
4. परशुराम (Parshuram)
पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु के छठें अवतार हैं परशुराम। परशुराम के पिता ऋषि जमदग्नि और माता रेणुका थीं। माता रेणुका ने पांच पुत्रों को जन्म दिया, जिनके नाम क्रमशः वसुमान, वसुषेण, वसु, विश्वावसु तथा राम रखे गए। राम ने शिवजी को प्रसन्न करने के लिए कठोर तप किया था। शिवजी तपस्या से प्रसन्न हुए और राम को अपना फरसा (एक हथियार) दिया था। इसी वजह से राम परशुराम कहलाने लगे। पराशुराम भगवान राम के पूर्व हुए थे, लेकिन वे चिरंजीवी होने के कारण राम के काल में भी थे। परशुराम ने 21 बार पृथ्वी से समस्त क्षत्रिय राजाओं का अंत किया था।
5. हनुमान (Hanuman)
अंजनी पुत्र हनुमान को भी अजर अमर रहने का वरदान मिला हुआ है। यह राम के काल में राम भगवान के परम भक्त रहे हैं। हजारों वर्षों बाद वे महाभारत काल में भी नजर आते हैं। महाभारत में उनके कई प्रसंग भी मिलते हैं। सीता ने हनुमान को लंका की अशोक वाटिका में राम का संदेश सुनने के बाद आशीर्वाद दिया था कि वे अजर-अमर रहेंगे।
6. ऋषि व्यास (Rishi Vyas)
ऋषि व्यास जिन्हे की वेद व्यास के नाम से भी जाना जाता है ने ही चारों वेद (ऋग्वेद, अथर्ववेद, सामवेद और यजुर्वेद), सभी 18 पुराणों, महाभारत और श्रीमद्भागवत् गीता की रचना की थी। वेद व्यास, ऋषि पाराशर और सत्यवती के पुत्र थे। इनका जन्म यमुना नदी के एक द्वीप पर हुआ था और इनका रंग सांवला था। इसी कारण ये कृष्ण द्वैपायन कहलाए। इनकी माता ने बाद में शान्तनु से विवाह किया, जिनसे उनके दो पुत्र हुए, जिनमें बड़ा चित्रांगद युद्ध में मारा गया और छोटा विचित्रवीर्य संतानहीन मर गया। जिसके बाद इन्होंने ही वंश का आगे बढ़ाया। मान्यताओं के अनुसार ये भी कई युगों से जीवित हैं।
7. बलि (Bali)
महादानी राजा बलि के दान के चर्चे दूर-दूर तक थे। देवताओं को परास्त कर राजा बलि ने इंद्रलोक पर अधिकार कर लिया था। तब राजा बलि के घमंड को चूर करने के लिए भगवान ने ब्राह्मण का भेष धारण कर राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी थी। राजा बलि ने कहा कि जहां आपकी इच्छा हो तीन पैर रख दो। तब भगवान ने अपना विराट रूप धारण कर दो पगों में तीनों लोक नाप दिए और तीसरा पग बलि के सर पर रखकर उसे पाताल लोक भेज दिया। शास्त्रों के अनुसार राजा बलि भक्त प्रहलाद के वंशज हैं। राजा बलि से श्रीहरि अतिप्रसन्न थे। इसी वजह से श्री विष्णु राजा बलि के द्वारपाल भी बन गए थे।
8. ऋषि मार्कण्डेय (Rishi Markandeya)
भगवान शिव के परम भक्त थे ऋषि मार्कण्डेय। इन्होंने शिवजी को तप कर प्रसन्न किया और महामृत्युंजय मंत्र को सिद्धि किया। महामृत्युंजय मंत्र का जाप मौत को दूर भगाने लिए किया जाता है। चुंकि ऋषि मार्कण्डेय ने इस मन्त्र को सिद्ध किया था इसलिए इन सातो के साथ साथ ऋषि मार्कण्डेय के नित्य स्मरण के लिए भी कहा जाता है।
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