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अमोल मजूमदार: खराब 'टाइमिंग' का शिकार हुआ एक ज़बरदस्त क्रिकेटर

Updated Sun, 19 Jun 2016 11:03 AM IST
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विस्तार

भारतीय क्रिकेट में स्कूली टूर्नामेंट का बड़ा रोल रहा है। हैरिस शील्ड इंटर-स्कूल टूर्नामेंट में सचिन तेंदुलकर और विनोद कांबली की 664 रन की पार्टनरशिप किसको नहीं याद। 13 साल के सचिन और कांबली ने तीसरे विकेट के लिए जो रिकॉर्ड बनाया, अब भले ही टूट गया हो, मगर इतिहास में आज भी दर्ज है।   sachin_vinod_kambli इन दोनों की जोड़ी ने जो कमाल दिखाया, उसके बाद कप्तान ने 748 के स्कोर की पारी घोषित कर दी। दोनों रातोंरात स्टारडम छू गए। मगर इस रिकॉर्ड के बाद एक 13 साल का लड़का पैरों पर पैड बांधे और हाथ में बल्ला थामे ही रह गया।

उसका नाम था अमोल मजूमदार...

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सचिन और कांबली को टीम इंडिया में एंट्री मिल गई। सचिन ने क्रिकेट मैदान में जो किया वो किसी से छुपा नहीं है। मगर अमोल हैरिस शील्ड ट्रॉफी की तरह ताउम्र पैड बांधे ही रह गए, उन्हें कभी मौका ही नहीं मिला।   2-amol 5 साल बाद 1993 में मजूमदार ने मुंबई की ओर से हरियाणा के खिलाफ़ फर्स्ट क्लास डेब्यू किया और 260 रन बनाए। यह पारी फर्स्ट क्लास डेब्यू में आज भी एक रिकॉर्ड है। अपने 21 साल लंबे फर्स्ट क्लास करियर में अमोल मजूमदार ने 11,167 रन बनाए, जिसमें उन्होंने 30 रणजी शतक जड़े।   6-amol

मगर वो कभी इंडिया के लिए नहीं खेल सके

अमोल टैलेंट और तकनीक के तो धनी थे, मगर वो हमेशा ख़राब टाइमिंग के शिकार हुए। सचिन और कांबली के स्कूल के साथी अमोल मजूमदार को 1995 में इंडिया-ए के लिए सिलेक्ट किया गया, जिसमें द्रविड़, लक्ष्मण और गांगुली भी थे। द्रविड़ टेस्ट में छा गए, तो गांगुली ने वनडे में नाम बना लिया।
 
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उसी दौरान रवि शास्त्री और नवजोत सिंह सिद्धू अंतर्राष्ट्रीय करियर से रिटायर हुए, तो मिडल ऑर्डर में जगह बनी। उस साल दिलीप ट्रॉफी में लक्ष्मण और द्रविड़ टॉप स्कोरर बने, तो गांगुली ने वेस्ट जोन के लिए 171 रन ठोके।     3-amol तीनों ने नेश्नल टीम में कदम रखा, और मजूमदार देखते रह गए। मजूमदार ने डॉमेस्टिक क्रिकेट में खूब रन बनाए। 15 साल मुंबई से खेलने के बाद वो असम और आंध्र प्रदेश के लिए भी खेले। मगर टीम इंडिया की चौकड़ी के चलते वो कभी टीम इंडिया में एंट्री नहीं ले सके। आज हम सचिन, गांगुली, द्रविड़ और लक्ष्मण के बिना उस दौर के टीम इंडिया की कल्पना भी नहीं कर सकते। 5-amol लोग अकसर इंजरी, राजनीति और फॉर्म के चलते बाहर होते हैं, मगर मजूमदार सिर्फ अपने ‘बैड लक’ के कारण बाहर बैठे रहे। मजूमदार 2014 में रिटायर हुए।

उस वक्त आईपीएल नहीं था... नाम, पैसा, शोहरत और टीम में जगह बनाने का शॉर्ट कट!!

अमोल मजूमदार आडवाणी की तरह, हमेशा वेटिंग लिस्ट में ही रहे...


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