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निर्देशक राजामौली एंड टीम ने करीब ढाई सौ करोड़ की लागत से बहुत खूबसूरत फिल्म बनाई... बाहुबली 2 द कन्क्लूजन। फिल्म की खूबसूरती ऐसी कि मखमल में जैसे हीरे-जवाहरात जड़ दिए हों, लेकिन कुछ चीजें ऐसी भी रह गई जो टाट के पैबंद के समान लगती हैं। ऐसी पांच भूलों को हमने और दर्शकों ने नोटिस किया है। बाकी आपको भी अगर कुछ सूझें तो इस स्टोरी के कमेंट्स बॉक्स में उनका जिक्र करें।
1. कुंतल राज्य पर पिंडारी लुटेरों की आफत टूटने पर मंदबुद्धि का नाटक कर रहे बाहुबली एक्टिव मोड में आ जाते हैं और राज्य को बचाने के लिए वन मैन आर्मी की तरह लुटेरों की सेना से निपटने लगते हैं। इस दौरान वह कुछ ऐसे कारनामें करते हैं जिनके बारे में एक आम आदमी की कल्पना में शायद ही ख्याल आएं। बाहुबली आग की लपटों वाला तीर सांडो के झुंड पर चला देते हैं। जलते हुए सींगों वाले असंख्य सांड महल के बाहर आक्रमण कर रहे पिंडारी लुटेरों को रौंदते चले जाते हैं। बाहुबली सुपर हीरो की तरह दो सांडों पर सवार होते हैं और फिर उन्हीं पर कूदते-फांदते आगे बढ़कर दुश्मनों का संहार करने लगते हैं। यह पूरा सीन रोमांच की हद तक ले जाता है, लेकिन एक मलाल रह जाता है, वो यह कि सांड पहले वाली फिल्म में भी नकली लगते हैं, जब भल्लाल देव एक सांड से लड़कर शक्ति प्रदर्शन करता है, और इस फिल्म में भी। वे किसी कार्टून फिल्म की तरह ही एनीमेटेड लगते हैं। यानी सांड पूरे सीन में टाट के पैबंद साबित होते हैं।
2. बाहुबली अपने कौशल और पराक्रम से कुंतल राज्य को बचा ले जाते हैं। राजकुमारी देवसेना इस जीत के बदले अपना दिल बाहुबली पर हार जाती हैं, यह जाने बिना कि वह ही माहिष्मति साम्राज्य के होने वाले महाराज हैं। आभार प्रकट करने का सीन चल रहा होता है, तभी राजमाता शिवगामी देवी का संदेश लेकर राजपंछी प्रकट होता है और बाहुबली की भुजा पर विराजमान होता है। बाहुबली राजपंछी से संदेश लेकर पढ़ते हैं। यह देख देवसेना और कटप्पा समेत सभी लोग हतप्रभ होते हैं। देवसेना जिज्ञासावश पूछती हैं तो बाहुबली बताते हैं कि उन्हें बंदी बनाने का फरमान है। देवसेना बाहुबली के सीने पर आग की लपटों वाली मशाल से प्रहार करती है। आग से बाहुबली के कपड़े जलते जाते हैं और वह माहिष्मति साम्राज्य का बख्तरबंद पहने नजर आते हैं। यह देख कटप्पा बाहुबली का परिचय देते हैं और सब उनके आगे नतमस्तक हो जाते हैं। यह पूरा सीन एक पल के लिए आपको कहीं जाने नहीं देता है, लेकिन इस पूरे सीन पर गौर करें तो राजमाता शिवगामी का भेजा हुआ राजपंछी नकली प्रतीत होता है। पंछी को और असली दिखाया जा सकता था।
3. बाहुबली के मखमल में तीसरा टाट का पैंबद कुंतल राज्य से ही है। देवसेना को पाने और उन्हें रिझाने की लालसा में लगा राजकुमार कुमार वर्मा अपने नकली पौरुष का प्रदर्शन करता है। बाहुबली मंदबुद्धी का नाटक करते हुए उसके दास बनते हैं और तलवार चलाने के दौरान उसका हाथ पकड़कर प्रहार करते हैं। इससे बड़ी सी लकड़ी दो फांख हो जाती है। तलवार के प्रहार की ध्वनि देवसेना के दिल में कंपन मचाती है। लेकिन देवसेना को तब भी यकीन नहीं हो पाता कि वह प्रहार कुमार वर्मा ने ही किया है। वह रात के वक्त कुमार वर्मा के बाहुबल की परीक्षा लेने के लिए सखियों संग कुमार कुमार वर्मा के कक्ष में प्रवेश करती हैं। अगले दिन सुअर के शिकार का प्रोग्राम तय होता है। सुअर के शिकार दौरान भी मंदबुद्धि का नाटक कर रहे बाहुबली कुमार वर्मा के साथ होते हैं। एक तरफ राजकुमारी देवसेना सुअर पर निशाना लगाती हैं तो दूसरी तरफ कुमार वर्मा। सुअर का शिकार शुरू होता है। बाहुबली अपने करतबों से कुमार वर्मा के तीरों का रुख ऐसे मोड़ते हैं कि वे सीधे शिकार के लक्ष्य सुअरों को एक के बाद एक भेदते चले जाते हैं। देवसेना का एक भी तीर सुअर पर नहीं लग पाता है। इस पूरे सीन के स्टंट्स पर अच्छा काम किया गया है लेकिन सुअर एकदम नकली लगते हैं। सुअरों पर और काम किया जा सकता था।
4. देशाटन पर निकले बाहुबली को प्यास लगती है। वह तालाब से पानी पीने वाले ही होते हैं कि सैकड़ों लाशें पानी में उतराती नजर आती हैं। कटप्पा बताते हैं कि यह काम पिंडारी लुटेरों का किया है। कटप्पा बताते हैं कि पिंडारी लुटेरे किस कदर दरिंदगी को अंजाम देते हैं। इस सीन में पानी पर उतराती लाशें भी कार्टून फिल्म की तरह नकली लगती हैं। सीन के वीएफएक्स इफेक्ट पर और काम करने की जरूरत है।
5. बाहुबली बिगनिंग यानी पहले पार्ट में झरने वाले सीन गजब के हैं... एकदम नयनाभिराम! शिवा के रोल में बाहुबली बार-बार जलपर्वतों की श्रंखला पर चढ़ने की कोशिशें करते हैं। यह देख उनकी आदिवासी मां परेशान होती है और बार-बार उन्हें ऐसा न करने का उलाहना देती है। शिवा अपनी कोशिशों में लगा रहता है। आदिवासी मां एक साधू के कहने पर 100 बार नदी से जल लाकर महादेव के शिवलिंग पर अभिषेक करने की प्रतिज्ञा कर लेती है और अभिषेक करने लगती है। शिवा के साथी उसे बुलाते हैं कि... देखो मां क्या कर रही है। शिवा आता है और मां को ऐसा परिश्रम करने से रोकता है। मां नहीं मानती है। बाहुबली सब्बल लेता है और शिवलिंग को खोदने लगता है। सब हैरान होते हैं। आखिर में बाहुबली अपनी बुजाओं के बल से जमीन में स्थापित भारी शिवलिंग को उखाड़ देता और कंधे पर रख झरने की ओर चल देता है। माहौल रोमांच के साथ-साथ भक्तिमय हो जाता है और सब बाहुबली को टकटकी लगाकर देखते रह जाते हैं। बाहुबली शिवलिंग कंधे पर रखे हुए नदी में छलांग लगाता है और उसे ले जाकर जल पर्वत से गिर रही झरने की धार के नीचे स्थापित कर देता है। शिवा मां से कहता है कि प्रतिज्ञा पूरी करने के लिए 100 बार ही क्यों... अब हर पल महादेव का अभिषेक होगा। यह सीन बाहुबली फिल्म के पहले पार्ट के सबसे बड़े आकर्षणों में से एक है। गौर से देखें तो सीन तो जबरदस्त तरीके से फिल्माया गया है, लेकिन महादेव का शिवलिंग कुछ हल्का ही प्रतीत होता है। खासकर शिवलिंग पर और काम किया जाना चाहिए था।