खान तिकड़ी देश से बाहर है। दूसरी तरफ भारत बाहुबली के क्रेज में डूबा हुआ है। इस फिल्म ने पहले ही दिन सवा सौ करोड़ की कमाई कर ये बता दिया कि फिल्म की कहानी किसी भी स्टार से बड़ी होती है... बहुत बड़ी होती है। फिर चाहे सामने वाला रजनीकांत के स्तर का सुपर सितारा हो या फिर सदी के महानायक अमिताभ बच्चन। खुद को बॉलीवुड का आखिरी सुपर स्टार कहने वाले शाहरुख खान हों, या फिर मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान और बॉलीवुड के सुल्तान सलमान खान हों।
वैसे तो इस दौर में हमने आमिर और सलमान का भी स्टारडम देखा है, लेकिन पता नहीं क्यों बाहुबली इन सब चमकते सितारों की चमक को फीका तो जरूर कर रहा है।
शाहरुख खान की 'हैप्पी न्यू ईयर' 14 अक्टूबर 2014 को छुट्टी वाले दिन रिलीज हुई थी।
बॉलीवुड में हजारों ऐसी कहानियां लिखी गईं जिन्हें स्टार्स को ध्यान में रखते हुए लिखा गया। ये चलन आज भी बदस्तूर जारी है। शायद चूक यहीं से हुई, क्यों कि सलीम जावेद ने जब शोले लिखी थी, तब उनके जेहन में न तो धर्मेंद्र का चेहरा था और न अमिताभ का। ये दोनों जय और वीरू बने, कहानी की डिमांड पर। इन दोनों को जय-वीरू बनाने के लिए कहानी नहीं लिखी गई।
बॉलीवुड में लंबे समय से ये धारणा चली आ रही है कि सुपर स्टार ही फिल्म की सफलता की गारंटी होते हैं।
सलमान खान की 'प्रेम रतन धन पायो' 12 नवंबर 2015 को छुट्टी वाले दिन रिलीज हुई थी।
ये बात सच है कि बाहुबली के कलाकार दक्षिण में अच्छी-खासी पहचान रखते हैं या यूं कहें उनके पास भी स्टारडम जैसी कोई चीज है। लेकिन उत्तर भारत में बाहुबली का मुगल-ए-आजम सरीखा क्रेज दिख रहा है। इससे यह बात तो साबित हो गई कि अमिताभ, शाहरुख, आमिर और सलमान जैसे स्टार्स की गैरमौजूदगी वाली फिल्म को भी दर्शक सिर आंखों पर रख सकते हैं। मसला सिर्फ कहानी का है, कहानी से बड़ा कोई स्टार नहीं।
आमिर खान की 'दंगल' 23 दिसम्बर 2016 को वर्किंग डे वाले दिन रिलीज हुई थी।
इस वक्त शाहरुख, सलमान और आमिर भी यही सोच रहे होंगे। ये वो कलाकार हैं जिनका बॉलीवुड पर सालों से राज है, लेकिन 25-30 साल के करियर के बाद भी बाहुबली जैसा क्रेज पैदा करने वाली एक भी फिल्म इनके खाते में नहीं है। कोई माने या न माने लेकिन तीनों खान बाहुबली के नेशनवाइड क्रेज को देखकर अपने स्टारडम के बारे में सोच तो जरूर रहे होंगे।
ये स्टार- कमल हसन, रजनीकांत, अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, सलमान खान, आमिर खान, अक्षय कुमार, रितिक रोशन, राजेश खन्ना, अपने-अपने जमाने के दिग्गज रहे, लेकिन किसे को यह सौभाग्य नहीं मिला के अपनी एक फिल्म से भाषाओं को दायरे को तोड़ते हुए पूरे देश को एक करदे, जैसा कि बाहुबली ने किया है।
कहने को आने वाली फिल्म 'सचिन द बिलियन ड्रीम्स' के प्रोमो में यह टैग लाइन दिखती है... 'वन मैन यूनाइट्स हिज कंट्री' (एक आदमी पूरे देश को एक कर देता है), लेकिन बाहुबली ने सचिन के परदे पर उतरने से पहले ही यह कारनामा कर दिखाया है। बाहुबली भाषाओं के दायरे को तोड़ती हुई भारतीय फिल्म इतिहास के अब तक सारे तिलिस्म तोड़ रही है। मुगल-ए-आजम के बाद दूसरी बार जनता में एक फिल्म के लिए ऐसा क्रेज देखा जा रहा है।