बॉलीवुड में जब भी पाकिस्तान के जिक्र की फिल्म बनती है तो पाकिस्तान उस फिल्म को बैन कर देता है। हाल में ही पाकिस्तान ने सोनम कपूर स्टारर फिल्म 'नीरजा' को भी बैन कर दिया। फिल्म 1986 में पैन एम एयरलाइन की फ्लाइट 73 को कराची में हाइजैक करने की सच्ची घटना पर आधारित है। पाकिस्तान का आरोप है कि फिल्म में उसकी खराब छवि पेश की गई है। ये कोई पहला मौका नहीं है जब पाकिस्तान ने भारतीय फिल्म को बैन किया हो। जानिए उन फिल्मों के बारे में जिन्हे पाकिस्तान ने बैन कर दिया गया।
क्या कूल हैं हम 3
आफताब शिवदासानी और तुषार कपूर की एडल्ट कॉमेडी फिल्म ‘क्या कूल हैं हम 3’पर पाकिस्तान में बैन कर दि गई। पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड ने फैसला किया है कि यह फिल्म जनता के देखने लायक नहीं है।
बाजीराव मस्तानी
पाकिस्तान में फिल्म बाजीराव मस्तानी भी बैन की गई थी। पाकिस्तान सेंसर बोर्ड का कहना था कि ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बेस्ड फिल्म है जो कि कहीं ना कहीं मुस्लिम और इस्लाम विरोधी है।
बेबी
बेबी फिल्म साल 2015 में रिलीज़ हुई और बहुत ही सफल फिल्म भी रही लेकिन इस फिल्म पर पाकिस्तान में प्रतिबन्ध लगा दिया गया और कारण दिया गया की यह फिल्म मुस्लिमो की छवि खराब कर रही है और इस पर प्रतिबन्ध लगने का एक बड़ा कारण यह था की इस फिल्म पाकिस्तानी ‘हाफिज सईद’ से मिलता जुलता करैक्टर दिखाया गया था।
हैदर
कश्मीर पर बनी इस संवेदनशील फिल्म विरोध प्रदर्शन भारत में भी हुआ था लेकिन फिर भी यह रिलीज़ हुई और हिट फिल्मो में शुमार हुई लेकिन पाकिस्तान में फिल्म को बैन कर दिया गया।
भाग मिल्खा भाग
फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह की संघर्ष की कहानी कहती इस फ़िल्म को भारत में बहुत तारीफ़ मिली। लेकिन फ़िल्म में एक जगह पाकिस्तान का ज़िक्र जिन तरह से किया गया, वो पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड को रास नहीं आया।
फैंटम
फिल्म का प्लॉट 26/11 पर बेस्ड है इसे पाकिस्तान में दिखाने लायक नहीं समझा गया।
द अटैक्स ऑफ 26/11
26/11 हमलों में अपनी भूमिका से पाकिस्तान ने हमेशा ही इनकार किया है। यह फिल्म इस हमले की एक-एक बारीकी के साथ बनाई गई थी। ऐसे में इसका तो पाकिस्तान में चलना नामुमकिन ही था।
बैंगिस्तान
'बैंगिस्तान' जुलाई 2015 में रिलीज़ हुई पर पाकिस्तान में नहीं। कहा गया फ़िल्म इस्लाम और पाकिस्तान विरोधी है।
एजेंट विनोद
सैफ़ अली खान की फिल्म 'एजेंट विनोद' पाकिस्तानी पाबंदी की मार झेल चुका हैं। फिल्म में पाकिस्तान और आईएसआई का नाम आने से 'एजेंट विनोद' रिलीज़ से पहले बैन कर दी गई थी।
तेरे बिन लादेन
वैसे तो ये कॉमेडी फ़िल्म थी, पर ओसामा बिन लादेन और पाकिस्तान के ज़िक्र का मतलब था फ़िल्म का बैन होना। फिर चाहे इसमें हीरो पाकिस्तान के ही अली फ़ज़ल थे।
रांझणा
इस फिल्म में भारत-पाकिस्तान का कोई ज़िक्र नहीं, न ही कोई बोल्ड कंटेंट, पर फिर भी बैन हुई। दरअसल इसमें सोनम एक मुस्लिम लड़की है जिसे हिंदू लड़के से प्यार है। इस पर भी बैन लगा दिया गया।
द डर्टी पिक्चर
विद्या बालन की ए सर्टिफ़िकेट वाली 'द डर्टी पिक्चर' पाकिस्तान सेंसर बोर्ड को कुछ बहुत डर्टी लगी। बोल्ड कंटेंट का हवाला देते हुए फ़िल्म को पाकिस्तान में रिलीज़ करने की अनुमति नहीं मिली।
एक था टाइगर
सलमान के फैन बड़ी संख्या में पाकिस्तान में हैं लेकिन 'एक था टाइगर' में टाइगर बनकर वो पाकिस्तानी सेंसर बोर्ड को नाराज़ कर चुके हैं। रॉ एजेंट वाली ये फ़िल्म वहां बैन कर दी गई थी।
डेल्ही बेली
आमिर खान की इस फिल्म पर भी पाकिस्तान में प्रतिबन्ध लगाया गया और इसका एक उचित कारण दिया गया की इस फिल्म में गंदे संवाद और गालियों की भरमार है।
हिंदुस्तान की कसम
1971 भारत-पाक युद्ध के ऑपरेशन कैक्टस-लिली पर आधारित प्लॉट वाली इस फिल्म को हिंदुस्तान में इसके देशभक्ति के जज्बे के लिए पसंद किया गया। लेकिन पाकिस्तान को नेगेटिव शेड में दर्शाना पड़ोसी मुल्क को रास नहीं आया और इसे भी वहां दिखाए जाने से रोक दिया गया।
आक्रमण
इस फिल्म में फौजियों का लव ट्राइऐंगल दिखाया गया है। जहां एक फौजी अपने सीनियर को इसलिए मारने की साजिश करता है क्योंकि उसने उसकी प्रेमिका के सामने शादी का प्रस्ताव रखा। यह फिल्म 1975 में आई थी जब भारत और पाकिस्तान के बीच शांति जरूर थी, लेकिन रिश्ते बहुत बुरे दौर से गुजर रहे थे। इसलिए यह फिल्म वहां नहीं दिखाई गई।
विजेता
1971 भारत-पाक युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी होने के कारण इस फिल्म को भी पाकिस्तान में नहीं दिखाया गया। जबकि, इस फिल्म में ऐसा कुछ नहीं था जिससे पाकिस्तान की भावनाओं को ठेस पहुंच सकती। यह तो एक ऐसे लड़के की कहानी थी, जो एयर फोर्स में पायलट बनने यूं ही चला जाता है और बाद में खुद को साबित करने में जुट जाता है।
गदर- एक प्रेम कथा
भारत के विभाजन की पृष्ठभूमि पर बनी इस फिल्म ने तारा सिंह की मोहब्बत और पाकिस्तान के प्रति नफरत भरे डायलॉग्स के बूते पर भारत में तो खूब तालियां बटोरीं लेकिन पाकिस्तान में इस फिल्म के प्रदर्शन पर रोक लगा दी गई।
बॉर्डर
1971 में हुए भारत-पाकिस्तान युद्ध की पृष्ठभूमि पर बनी यह बॉलिवुड फिल्म भी पाकिस्तान में नहीं दिखाई गई। हालांकि, इस फिल्म का संदेश यह था कि युद्ध से बचा जाना चाहिए। लेकिन चूंकि इसमें भारत-पाकिस्तान युद्ध का जिक्र था, इसे वहां नहीं दिखाया गया।
1971
मनोज वाजपेयी स्टारर इस फिल्म में 6 ऐसे भारतीय सैनिकों की कहानी बताई गई है जिन्हें 1971 युद्ध के दौरान बंदी बना लिया गया और उनपर ज्यादतियां की गईं। जाहिर है इसे तो वहां बैन होना ही था।
LOC कारगिल
कारगिल युद्ध ने भारत और पाकिस्तान के पहले से बिगड़े रिश्तों में और खटास डाल दी थी। ऐसे में इसपर आधारित फिल्म भला क्यों ऐंटि-पाकिस्तान न होती, और क्यों उसका प्रदर्शन पाकिस्तान में न रोका जाता। भारत के नजरिये सेबनाए जाने पर जेपी दत्ता की इस मल्टिस्टारर फिल्म को पाकिस्तान में नहीं लगने दिया गया।
लक्ष्य
फरहान अख्तर के निर्देशन में बनी इस फिल्म में भी कारगिल युद्ध को ही पृष्ठभूमि में लिया गया और एक ऐसे लापरवाह लड़के की कहानी गढ़ी गई जो सेना में जाने के बाद समझ पाता है कि उसका लक्ष्य क्या है। लेकिन युद्ध पर आधारित थी तो बाकी फिल्मों की तरह इसे भी वहां रोक दिया गया।
1947 अर्थ
इस फिल्म को जहां एक तरफ क्रिटिक्स की भरपूर तारीफ मिली, वहीं एक तबके को अपनी बेबाकी की वजह से यह नागवार गुजरी। इस फिल्म का प्रदर्शन भी पाकिस्तान में बैन रहा। बोल्ड सीन, विभाजन के दौरान लाहौर की पृष्ठभूमि और धर्म विशेष की भूमिका के चलते इस फिल्म को वहां नहीं चलने दिया गया।