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फिल्म पड़ोसन का गाना एक चतुर नार बिना महमूद के कभी पूरा नहीं हो सकता था। फिल्म कुंवारा बाप में इस हास्य कलाकार ने अपने अभिनय की चोट से पत्थर दिल दर्शकों को भी रुला दिया। फिल्म गुमनाम का हवेली वाला बावर्ची कौन भूल सकता है।
...और फिल्म प्यार किए जा में भूत वाला सीन ओम प्रकाश को जिस तरह से महमूद ने समझाया था, वह अपने आप में एपिक है। कोई दूसरा कलाकार उस जगह कल्पना में भी फिट नहीं बैठता।
यूं तो महमूद कि अदाकारी की तारीफ में कसीदे लिखे जाएं तो कई किताबों के पन्ने कम पड़ जाएं। लेकिन 29 सिंतबर को इस महान कलाकार का जन्मदिन होता है, इसलिए हम आपको रूबरू कराते हैं इनके बारे में बहुत ही दिलचस्प बातों से।
वैसे तो बॉलीवुड में कई हास्य कलाकार रहे, लेकिन उनमें एक नाम ऐसा भी है जिसकी अदाकारी के सामने अच्छे-अच्छे कलाकारों के पसीने छूट जाते थे। मशहूर अभिनेता महमूद अली को किंग ऑफ कॉमेडी के खिताब से नवाजा गया। महमूद का जन्म 29 सितंबर 1932 में हुआ था। बाल कलाकार से हास्य अभिनेता के रूप मे स्थापित हुये महमूद का जन्म 29 सितम्बर 1933 को मुंबई में हुआ था। उनकी यादगार फिल्मों में भूत बंगला, प्यार किए जा, पड़ोसन, बॉम्बे टू गोवा, गुमनाम, कुंवारा बाप शामिल हैं।
महमूद ने अपने एक्टिंग करियर की शुरुआत फिल्म सीआईडी से की। एक जमाना था जब बड़े-बड़े अभिनेता महमूद से डरा करते थे और अपनी फिल्मों को महमूद की फिल्मों के सामने रिलीज नहीं करते थे। बताया जाता है कि महमूद साहब फिल्म के हीरो के ज्यादा फीस लेते थे और फिल्म में उनके लिए खास तौर से एक गाना फिल्माया जाता था। महमूद एक ऐसे कलाकार थे, जो सब कुछ अपने तरीके और स्टाइल से करते थे। यहां तक कि उन्हें भी नहीं पता होता था कि वो उस सीन में क्या करेंगे।
महमूद साहब में अदाकारी का हरफन मौजूद था। वो दर्शकों को अपनी एक्टिंग से जितना हंसाते थे, उतना ही रुलाते भी थे। फिल्म कुंवारा बाप में उन्होंने दर्शकों को रोने पर मजबूर कर दिया था। महमूद अकेले ऐसे हास्य कलाकार थे, जिनकी तस्वीर फिल्म के पोस्टर में हीरो के साथ रहा करती थी। फिल्म में कितना भी बड़ा हीरो क्यों न हो, दर्शक सिनेमाघरों में महमूद को देखने जाया करते थे। डायरेक्टर को यह बात अच्छी तरह पता होती थी कि अगर उसे अपनी पिक्चर हिट करनी है, तो उसे महमूद को अपनी फिल्म में लेना होगा।
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन की मुलाकात महमूद के भाई अनवर अली ने महमूद से करवाई थी। अमिताभ शुरुआती दिनों में जब संघर्ष कर रहे थे तो महमूद ने ही उन्हें लंबे समय तक अपने घर पर आसरा दिया और अपनी फिल्म बॉम्बे टू गोवा में काम दिया। महमूद को अपने सिने करियर में तीन बार फिल्मफेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया। पांच दशक में उन्होंने करीब 300 फिल्मों में काम किया। 23 जुलाई 2004 को महमूद इस दुनिया से हमेशा के लिए रुखसत हो गए। उनके निभाए किरदारों को हमेशा याद रखा जाएगा।