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फिल्मों को हिट-सुपरहिट बनाने के लिए स्क्रिप्ट और डायलॉग्स के साथ-साथ गानों को भी जगह दी जाती है। ऐसा माना जाता है कि गाने फिल्मों में जान डाल देते हैं। 60 और 70 के दशक की कुछ एक फिल्मों में तो गानों की भरमार होती थी। एक फिल्म 10-10 गाने भर दिए जाते थे। जाहिर है कि फिल्म निर्माताओं को लगता होगा कि कम से कम गानों के दम पर ही फिल्म चल निकलेगी। उसी परंपरा को आज का वर्तमान सिनेमा भी बखूबी निभा रहा है, फर्क इतना है कि अब ज्यादातर फिल्में में चोरी के गाने भरे जा रहे हैं। या तो उन्हें जबरदस्ती का रीमिक्स किया जाता है, या कई गानों की धुनों को मिलाकर नया गाना बना दिया जाता है।
लेकिन फिल्में केवल गानों के दम पर ही चलती हैं, ये एक भ्रम है और इस भ्रम को तोड़ा है बॉलीवुड कुछ खास फिल्मों ने। हो सकता है कि आपने ये फिल्में देखी भी हों। इन्हें हॉलीवुड फिल्मों की तरह बिना किसी गाने के बनाया गया और ये दर्शकों बांधे रखने में सफल भी हुईं। फिरकी ने ऐसी ही फिल्मों की लिस्ट बनाई है। देखें और अपनी प्रतिक्रिया साझा करें।
2005 में आई फिल्म 'ब्लैक' में एक भी गाना नहीं था। फिल्म निर्माता संजय लीला भंसाली ने इसे बनाया था। लेकिन इसमें जान डाली थी महानायक अमिताभ बच्चन और रानी मुखर्जी ने। रानी ने इस फिल्म में एक अंधी और बहरी लड़की का किरदार निभाया था। बिग बी और रानी की अदाकारी के आगे इस फिल्म में किसी गाने की जरूरत भी महसूस नहीं हुई।
अक्सर भूतिया फिल्मों में गानें कम होते हैं। लेकिन राम गोपाल वर्मा की 2003 में आई फिल्म भूत में एक भी गाना नहीं था। हालांकि इस फिल्म में प्रमोशनल सॉंग्स थे। लेकिन वो फिल्म की कहानी के पार्ट नहीं थे। फिल्म हिट रही। लीड एक्ट्रेस उर्मिला मातोंडकर को इस फिल्म के लिए अवार्ड भी मिला।
2003 में आई मल्टीस्टारर फिल्म 'डरना मना है' हिट रही। इस फिल्म में भी गाने की धुन नहीं सुनाई दी।
2008 में आई फिल्म अ वेडनेसडे ने खूब सुर्खियां बटोरी थीं। अनुपन खेर और नसहरुद्दीन शाह को इस फिल्म के लिए खूब तारीफें मिली। खासकर नसीरुद्दीन का किरदार इतना धांसू रहा कि दर्शकों को फिल्म में गानों की महसूस नहीं हुई।
2007 में आई फिल्म भेजा फ्राई उस वक्त की कॉमेडी फिल्मों में से एक थी। फिल्म की कहानी सिर्फ एक रूम की थी। बिना गानों वाली कम बजट की यह फिल्मों दर्शकों को पसंद आई।
2013 में आई फिल्म 'द लंचबॉक्स' को खूब सराहना मिली थी। इरफान की अदाकारी ने इस फिल्म को अलग ही मुकाम पर पहुंचा दिया। मुंबई और आस पास रहने वाले कई लोगों को फिल्म में अपनी झलक दिखाई दी। बिना गानों की ये फिल्म दर्शकों को बांधे रही।