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2. भल्लाल देव से शादी का वादा करने वाली राजमाता शिवगामी देवी को जब कुंतल राज्य की राजकुमारी देवसेना का जवाब न में मिलता है और उनके भेजे हुए आभूषण वापस माहिष्मति लाए जाते हैं तो राजमाता बोलती हैं-
हमने विवाह की सगाई की शहनाई बजानी चाही उसके घमंड ने युद्ध के नगाड़े बजा दिए।
3. भल्लाल देव के राज्याभिषेक के बाद बाहुबली का सेनापति के तौर पर अभिषेक होता है। भल्लाल देव महाराज बनने की शपथ पढ़कर लेता है, लेकिन बाहुबली जनता की आंखों में आंखे डालकर शेर की मानिंद चिघाड़ मारकर शपथ लेता है-
महेंद्र बाहुबली यानी मैं महिष्मति की असंख्य प्रजा और उनके मान और प्राण की रक्षा करूंगा, इसके लिए अपने प्राणों की आहुति भी देनी पड़े तो पीछे नहीं हटूंगा।
इतना कहते ही जनता में बाहुबली नाम का नाद होने लगता है और भल्लाल देव का सिंहासन टूटते-टूटते बचता है।
4. यह डायलॉग बड़ा ही मार्मिक है, जो दर्शक को रुला देता है। दरअसल यह डायलॉग बोला ही ऐसे वक्त जाता है। षड़यंत्र के तहत जब बाहुबली मामा कटप्पा को बचाने आता है तब अचानक कालकेय की सेना आ धमकती है और बाहुबली पर तीरों की वर्षा कर देती है। बाहुबली की पीठ को दर्जन भर बाण भेद जाते हैं। कटप्पा बाहुबली से कहता है वह वहां से चला जाएं, लेकिन बाहुबली अपनी पीठ से बाण निकालकर कटप्पा के हाथ में बंधी जंजीर काटता है और कहता है-
जब तक तुम मेरे साथ हो, मुझे मारने वाला पैदा नहीं हुआ मामा।
5. कालकेय की सेना को परास्त करने के बाद बाहुबली का महराज बनना तय हो जाता है। भल्लादेव को सेनापति बनाने की बात कही जाती है। भल्लालदेव का पिता बिज्जलदेव उसके मन में किसी भी कीमत पर सत्ता प्राप्ति का जहर भरता रहता है। वह यहां तक कहता है कि क्यों न रास्ते में आने वाली उसकी राजमाता शिवगामी को ही मार दिया जाए। इधर बाहुबली के देशाटन पर निकलने के बाद शिवगामी देवी भल्लादेव को एक मजबूत सेनापति के लिए जरूरी धनुष देती हैं, जिसकी मारक क्षमता अद्भुत होती है। भल्लाल देव महाराज न बनने के गम का गुबार उड़ेल देता है और बोलता है- मैं इतना गिरा हुआ नहीं कि छोटे भाई को राजा बनाए जाने के बदले तोहफा लूं। मैं सिंहासन के लिए अपना वचन तोड़ दूं ये आपकी परवरिश का अपमान होगा।