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अब एक मुस्लिम देश ने पाकिस्तान को वीज़ा देने पर बैन लगाया!

Shivendu Shekhar/firkee.in Updated Tue, 07 Feb 2017 06:22 PM IST
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मोदी-नवाज़
मोदी-नवाज़ - फोटो : source/ indian express
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2016 के अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव के बाद से ही पूरी दुनिया में हलचल है। लोगों को डर था कि ट्रम्प के हाथ में व्हाइट हाउस की कमान और उसके साथ अमेरिका की कमान दुनियाभर के लिए खतरा हो सकता है। क्योंकि ट्रम्प चुनावी रैलियों में भी दुनिया से अलग सिर्फ अमेरिका-अमेरिका का राग अलाप रहे थे। लेकिन बात सिर्फ अमेरिका-अमेरिका तक ही नहीं थी। बात इससे आगे भी थी। वो ये कि दुनियाभर के लोग जाएं तेल लेने।  मुसलमानों के खिलाफ़ और मुस्लिम देशों के खिलाफ़ भी वो खुल कर बोल रहे थे।  

राष्ट्रपति बनते ही पहला बड़ा फैसला आया। दुनियाभर के 7 देशों को अमेरिकी वीजा देने पर बैन लगा दिया गया। और अगले 90 दिनों तक इन देशों के लोगों को अमेरिका में घुसने पर बैन लगा दिया गया। कौन-कौन से देश...? 

इनमें ईरान, इराक, लीबिया, सोमालिया, सुडान, सीरिया और यमन थे। लोगों ने खूब प्रोटेस्ट भी किया। अब भी अमेरिका में लोग इसका विरोध कर रहे हैं। लगे हाथ ईरान ने जवाब भी दे दिया।  इसका करारा जवाब दिया जाएगा। ये हमारी बेइज्जती है। साथ ही मुस्लिम देशों की बेइज्जती है।  

अब आगे क्या होगा नहीं पता। लेकिन जिस हिसाब से चीज़ें चल रही हैं। लिख कर रख लीजिए अगर इसमें सुधार नहीं हुआ तो बवाल कटेगा। बड़का बवाल। वो कैसे? 

आज यानि शुक्रवार को एक खबर आई है। ये खबर है कुवैत से। कुवैत ने भी अपने यहां 5 देशों के लोगों को वीजा देने पर बैन लगा दिया है। स्पुतनिक न्यूज़ ने बताया है।  

और इन पांच देशों में ईरान, इराक, सीरिया, अफ़गानिस्तान सहित पाकिस्तान का भी नाम है।  खबर जो दी गई उसमें बताया गया कि ये आदेश शरणार्थियों को रोकने के लिए जारी किया गया।  

लेकिन एक लफड़ा भी है। कुवैत गल्फ़ को-ऑपरेशन काउंसिल का हिस्सा है। और हो सकता है इस फैसले के बाद बाकी देशों का गुस्सा भी उसे झेलना पड़े।  

क्योंकि अमेरिका अगर कोई आदेश जारी करता है। जिसमें अगर किसी मुस्लिम कंट्री के लोगों को वीज़ा देने की मनाही होती है तो वो एक बात है। इसके बाद पाकिस्तान या फिर ईरान जैसे देश दूसरे खाड़ी देशों की तरफ नज़र डालते हैं। लेकिन, अब ये दांव तो उल्टा ही पड़ता जा रहा है।  

एक और बात। उधर अमेरिकी संसद में एक और प्रस्ताव पेश हुआ है। जिसमें दूसरे देशों के लोगों को काम पर रखने पर उन्हें दुगनी सेलरी देने का प्रस्ताव है। इसके बाद से जितने भी आईटी फर्म वाले हैं वो सब डरे हुए हैं। डरना भी लाज़मी है। आखिर इतना ख़र्च कौन उठाना चाहेगा, अगर ये प्रस्ताव पास हो गया तो? अब जो इंडिया वाले अमेरिका में पड़े हुए, पैसा छाप रहे थे उनको भी अब इंडिया की याद आ रही है।  

लेकिन ये कोई मज़ाक नहीं है। अगर सब कुछ ऐसा ही चलता रहा तो या तो दुनिया एक और वर्ल्डवॉर देखने वाली है या फिर आप दुनिया देखना भूल जाइए! 

डरिए क्योंकि डरना जरूरी है। जो लोग ट्रम्प के चुनाव जीतने से पहले बर्थडे केक काट रहे थे और यहां ट्रम्प बाबा की पूजा में लगे थे।  उनको भी बता दीजिएगा क्या-क्या चल रहा है।  सबको झेलना पड़ेगा!

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