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फिल्मों ने हमें बहुत कुछ सिखाया है। खासकर बाहरी दुनिया के बारे में, जैसे कि पुलिस के अलावा आप जासूसों की भी मदद ले सकते हैं। जैसे कि पुलिस के अलावा आप जासूसों की भी मदद ले सकते हैं। जासूस हैंडसम तो होते ही हैं साथ ही उनके पास एक से एक डिवाइस और हथियार होते हैं वगैरह… वगैरह… । आज आपको ऐसे ही कुछ फिल्मों और टीवी सिरियलों की याद दिला रहे हैं जिन्होंने हमे बताया कि जासूस या डिटेक्टिव किस चिड़िया का नाम होता है।
शरदेन्दु बन्द्योपाध्याय बांग्ला के मशहूर उपन्यास पर आधारित ब्योमकेश बक्शी से 90 के दशक वाले लोगों को गहरा लगाव है। हालांकि ये शरलोक होम्स से प्रेरणा लेकर लिखा गया था लेकिन इसमें भारतीयों वाला पूरा तड़का था। दूरदर्शन पर आने वाले ब्योमकेश बक्शी का किरदार निभा रहे रजीत कपूर को लोग असल का जासूस मानने लगे थे। धोती-कुर्ता पहनने वाला वो जासूस आज भी हमारे जहन बिल्कुल वैसे ही जिन्दा है जैसे टीवी पर देखा था।
90 के दशक में पैदा हुए किसी भी इंसान से करमचन्द के बारे में पूछ लो। उछल कर पंकज कपूर के बारे में बात करने लगेगा/लगेगी। जिस तरीके से करमचन्द केस सॉल्व करता था उस तरीके से हम स्कूलों में टिफिन चोरी के मामले सुलझाया करते थे।
तहकीकात सीरियल के सिर्फ 13 ही एपिसोड आए थे टीवी पर, लेकिन वो लीजेन्ड की तरह लोगों के दिल में जगह बनाने में कामयाब हो गये। सैम डिसिल्वा और गोपीचन्द हाइप्रोफाइल केस निपटाते थे और इस दौरान जबरदस्त रोमांच बना रहता था।
इस सीरियल में इंस्पेक्टर भारत का किरदार निभाया था सुदेश बेरी ने। CID के काबिल इंस्पेक्टर के पास वो केस आते थे जो पुलिस सुलझाने में नाकाम हो जाती थी। ये इंस्पेक्टर साहब बड़े से बड़े केस को अपने स्टाइल में सुलझा लिया करते थे। इनका क्रेज ऐसा था कि लोग इनके स्टाइल में हाथ-हाथ हिलाकर हिलाकर बात करते हुए भी दिख जाते थे।
इनका उदय तो कॉमिक्स से हुआ लेकिन बाद में ये टीवी पर भी दिखाई देने लगे। कंप्यूटर से भी तेज चलने वाला इनका दिमाग मंगल ग्रह तक के मामलों को निपटा दिया करता था। बच्चों के फेवरेट और बड़ों के खास, चाचा चौधरी ने जासूसी में हिन्दुस्तानी मिट्टी की भी महक दी।