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कोई शक और अई शाबाश… ये वे दो डायलॉग्स हैं जो 85 से 95 के दशक में जिंदा रहे हर शख्स को याद होंगे… हर दिल अजीज और गरीबों के अमिताभ कहे जाने वाले मिथुन चक्रवर्ती का आज यानी 16 जून को जन्मदिन है। वैसे तो मिथुन दा ने हिंदुस्तान के दर्शकों और बॉलीवुड को बहुत कुछ दिया है, लेकिन आइए याद करते हैं उनके 10 सुपर डायलॉग्स...
''सिर जिसके आगे न झुके वो दरवाजा किसी और का होगा मेरा नहीं… और जो हर दरवाजे पर झुक जाए वो सिर किसी और का होगा, हमारा नहीं…''
फिल्म- यमराज
''इज्जत, जिल्लत, शोहरत और मौत… ऊपर वाले के हाथ में है''
फिल्म- किक
''कसम खाकर आ गया है इंतकाम का ये अंगारा, बजाउंगा आज तेरी मौत का नगाड़ा''
फिल्म- गुंडा
''जिसकी जरूरत उसूलों से बड़ी होती है वो न नहीं बोल सकता है''
फिल्म- जाल
''दुश्मन का बॉर्डर हो या दी हुई जुबान… हिंदुस्तानी सिपाही पीछे नहीं हटता''
फिल्म- लक
''जिनके घर शीशे के होते है न, वो बेसमेंट में कपड़े बदलते हैं''
फिल्म- गोलमाल- 3
''मैं गरीबों के लिए हीरों हूं…. और तुम जैसे लोगों के लिए विलेन… नाम है मेरा शंकर, हूं मैं गुंडा नंबर वन''
फिल्म- गुंडा
''किसी महान आदमी ने कहा है… बिछड़ना है आसान, इसलिए गुडबॉय ना तुम कहना… जाना तो है हमसे दूर सही, पर तो इसी दिल्ली में रहना''
फिल्म: लक्की- नो टाइम फॉर लव
''देखने में बेवड़ा, भागने में घोड़ा और मारने में हथौड़ा''
फिल्म- लोहा
''कानून और भगवान जब देता है छप्पर फाड़ के देता है… और जब लेता है तो थप्पड़ मार के लेता है''
फिल्म- लोहा
''हर वक्त, हर पल तुझसे टकराने छटां आ रहा है… मेरे बेटे के लिए तुझसे लड़ने तेरा बाप आ रहा है''
फिल्म- बॉस