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भारत में फ़िल्मों की शुरुआत मूक फ़िल्मों से हुई थी। उसके बाद आलम-आरा पहली बोलती हुई फ़िल्म बनी और उसके बाद से फ़िल्मों का स्तर तकनीकी रूप से बढ़ता गया। फ़िल्में रंगीन हुईं और फिर उसके साथ स्पेशल इफेक्ट्स आदि जुड़ते गए। आज वीएफ़एक्स का समय है।
लेकिन कई मुद्दे ऐसे होते हैं जिन्हें लोगों तक पहुंचाने के लिए रंग या शब्दों की ज़रुरत नहीं होती है। कई बार सिर्फ़ आंखो और हाव-भाव से ही हम अपनी बात बड़ी मज़बूती से सामने वाले तक पहुंचा देते हैं। माइम आर्टिस्ट्स का भी यही काम होता है। बस चहरे के भाव और बॉडी लैंग्वेज की मदद से वो हमें एक पूरी कहानी सुना देते हैं।
एक और मूक फ़िल्म का ट्रेलर आया है। इस फ़िल्म का मुद्दा कुछ ख़ास है।
इस फ़िल्म का नाम है सिसक। इस फ़िल्म को डायरेक्ट किया है फ़राज़ अंसारी ने। पूरे ट्रेलर में एक भी डाएलॉग नहीं है। बस मुंबई की लोकल ट्रेन है और ट्रेनों की आवाजाही के बीच खड़े दो लोगों की कहानी। एक किरदार ने सूट-बूट पहन रखा है तो एक ढीला-ढाला कुरता पहने हुए है। एक किसी बड़ी कंपनी का एम्प्लोई लगता है तो एक लव स्टोरीज़ पसंद करने वाला स्टूडेंट।
दोनों एक दूसरे से नज़रे चुराते हुए नज़रें मिलाने की कोशिश करते नज़र आ रहे हैं। इनमें से एक की उंगली में अचानक ही एक दिन शादी की अंगूठी नज़र आती है। दोनों की आंखों में आंसू है। यहां से फ्लैशबैक शुरू होता है।