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मुंबई के राज भवन के नीचे एक 150 मीटर लंबा पूरा का पूरा बैरक मिला है। राज भवन मतलब जहां राज्यपाल रहते हैं। जो कि पिछले कई सालों से बंद पड़ा हुआ था। सबसे मज़ेदार बात ये हुई कि जो गेट के सामने की दीवार थी उसे तोड़ा गया था, एक 150 मीटर लंबा टनल होने की ख़बर पर। लेकिन सब का दिमाग उड़ गया, जब दीवार टूटने के बाद सामने आया लगभग 20 फीट उंचा दरवाज़ा। ये बात हम नहीं कह रहे स्वयं मुख्य मंत्री जी और राज्यपाल महोदय बताए हैं।
कैसे क्या हुआ? कहां से आया आइडिया?
महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं, विद्यासागर राव। उनके यहां राज भवन में कम करते हैं एक पियून। नाम है 'विलास मोरे'। सबसे ख़ास बात विलास के पापा भी राजभवन में ही काम करते थे। तो विलास और राज्यपाल महोदय के जो पीआर ऑफिसर हैं, उमेश काशीकर, पीआर ऑफिसर का मतलब जो उनका मीडिया और पब्लिक मीटिंग का काम देखते हैं.. ये लोग बहुत टाइम से राज्यपाल विद्यासागर राव साहब को इस टनल के बारे में बताते रहते थे।
तो 12 अगस्त को राव साहब ने कहा देखा जाये कितना दम है बात में। और राजभवन के पूरब की तरफ बनी एक दीवार तोड़ी गई। और जैसे ही ये दीवार टूटी सबकी आंखें खुली रह गईं। क्यों?
क्योंकि वहां से सिर्फ़ एक टनल की उम्मीद की जा रही थी। लेकिन अंदर पूरा का पूरा एक बैरक निकला। वो भी पूरी व्यवस्था के साथ। सामने 20 फीट का गेट। अंदर पानी निकलने और हवा जाने की व्यवस्था। लाइट जाने का जुगाड़, सब कुछ।
इसके बाद सब लोग मुख्यमंत्री से लेकर राज्यपाल तक सब घूमने पहुंचे। मुख्यमंत्री जी ट्विटर पर फोटो भी शेयर किए। मुंबई से एक अख़बार निकलता है, मुंबई मिरर। उससे बात कर रहे थे, राज्यपाल महोदय।
कहते हैं, अंदर जो दिखा हमलोग चौंक गए एकदम से। पीडब्ल्यूडी वालों ने अंदर जा कर जांच किया। लाइट वगैरह सब लगाया। मैं और मेरी पत्नी 16 अगस्त को देखने गए। और अंदर कई कमरे थे। आर्कियोलॉजी वालों को भी बता दिया गया है। जिससे पता चल सके कि ये कब का बना हुआ है। और मेरा तो प्लान है कि इसे म्युज़ियम बना दिया जाए, लेकिन उसके लिए बहुत कुछ देखना पड़ेगा।"
क्या मिला अंदर?
12 अगस्त को जब पीडब्ल्यूडी वालों ने टेम्पररी दीवार तोड़ी तो सब भौंचक रह गए। अंदर 13 कमरे थे अलग-अलग साइज़ के। बीच में एक लम्बा पैसेज और दोनों तरफ से कई छोटे-बड़े कमरे। करीब 5000 स्क्वैयर फीट एरिया में फैला है ये पूरा बंकर। अंदर कमरों पर बोर्ड लगे हैं गन शेल, शेल स्टोर, खोखे के लिए अलग स्टोर, शेल लिफ्ट, पंप हाउस और वर्कशॉप। अब अंदाज़ा आप लगा सकते हैं। अंदर कितना कुछ था।
https://youtu.be/Pn2gvXgRiOM
राजभवन पहले क्या था, मतलब आज़ादी से पहले?
राज भवन जिसको कि पहले 'गवर्नमेंट हाउस' भी बोला जाता था। आज़ादी से पहले 1885 के बाद से गवर्नर्स का स्टे रहा है। मालाबार हिल्स की ये बिल्डिंग 1885 से पहले गर्मियों के लिए गवर्नर का निवास हुआ करता था। लेकिन लॉर्ड रे जब गवर्नर बन कर आए तब इसे पर्मानेंट आवास बना दिया गया था।
अब आगे जो होगा सो देखा जाएगा। अभी कहानी यहीं खत्म होती है। बाकी और भी किस्सों कहानियों के लिए पढ़ते रहिए firkee.in