वह बताती हैं कि कई दिनों तक वह अपने परिवार से दूर रही और यहां तक कि खाना भी नसीब नहीं हुआ। अरुणा पिछले 70 साल से मात्र चाय और बिस्कुट के सहारे ही जिंदा है। वह बताती हैं कि कुछ समय पहले जब वह वृद्ध आश्रम के लिए परमिशन मांगने मेयर के पास गई तो उसमें यह पूछा कि इस वृद्ध आश्रम का संचालन कौन करेगा?? तब अरुणा का जवाब सुनकर मेयर साहब भी चौक गए।
अरुणा जी ने कहा कि इस वृद्ध आश्रम का संचालन वह खुद करेंगी। वृद्ध आश्रम में फाइन आर्ट, संगीत, सिलाई, बुनाई, कढ़ाई, पेंटिंग, सॉफ्ट टॉय बनाना सिखाएंगी। अरुणा जी बताती हैं कि उनकी शादी 20 साल की उम्र में हो गई थी और उनके पति गुवाहाटी के कॉटन कॉलेज में रसायन विज्ञान के विभाग में कार्यरत थे। अभी कुछ दिन पहले उनका निधन हो गया। अरुणा जी के चार बेटे और एक बेटी है उनके 3 बेटों का निधन हो चुका है एक बेटा-बेटी कनाडा में रहते हैं। आज भी उनके जीवन जीने का तरीका हम सबके लिए एक मिसाल है।
ख़ैर सपने अगर नेक हों तो उसे पूरा करने में भगवान भी साथ देता है। शुक्रिया..