Home Feminism A Perfect Example Of Presence Of Mind When A Lady Saved A Girl In Delhi Metro From Abduction

सही समय पर निर्णय लेकर महिला ने एक बच्ची का अपहरण होने से बचाया

Apoorva Pandey/ firkee.in Updated Tue, 25 Apr 2017 01:03 PM IST
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abduction - फोटो : daily times
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जिंदगी में कई बार ऐसे मौके आते हैं जब हमारा दिमाग पूरी तरह से काम करना बंद कर देता है और हमारे सामने जैसे अंधेरा छा जाता है। ये तब होता है जब हम किसी बहुत बड़ी मुसीबत में पड़ जाते हैं। लेकिन यही वो वक्त होता है जब हमारे 'प्रजेंस ऑफ माइंड' का टेस्ट हो जाता है। अगर समय पर हमारा दिमाग सही ढंग से काम कर जाए तो हम बड़ी से बड़ी मुसीबत से खुद भी बच सकते हैं और दूसरों को भी बचा सकते हैं।

कोरा पर किसी ने लोगों से ये सवाल पूछा कि आपने अपने प्रेजेंस ऑफ माइंड का सबसे अच्छा नमूना कब पेश किया है। इसके जवाब में एक लड़के ने अपनी बहन का एक किस्सा लोगों के साथ साझा किया है जो बेहद रोमांचक है और हम सभी के लिए एक सीख देता है। इस लड़के की बहन ने सही समय पर अपना दिमाग इस्तेमाल करके एक बच्ची को बचाया।
 

हुआ ये कि मेरी बहन रोज ही दिल्ली मेट्रो में सफर करके अपने ऑफिस आया जाया करती थी। एक दिन उसने भीड़-भाड़ के बीच एक 3-4 साल की बच्ची पर ध्यान दिया। वो बेहोशी की हालत में लग रही थी। लड़की को देख कर लग रहा था कि वो किसी अच्छे परिवार से है। देख कर लगता था जैसे वो अपने घर पर काम करने वाले किसी व्यक्ति के साथ स्कूल जा रही है। लेकिन जब-जब वो नींद से उठती वो चिड़चिड़ी दिखाई पड़ती। वो व्यक्ति अपने रुमाल को उसके मुंह पर रख कर कहता सो जा बेटा सो जा और इतने में वो फिर सो जाती। शायद उस रुमाल में कोई बेहोशी की दवा थी।

वो आदमी बार-बार ये दिखाना चाहता था कि वो उस बच्ची को अच्छी तरह से जानता है और उसका कुछ बुरा नहीं चाहता। मेरी बहन को ये सब देखकर थोड़ा अजीब लगा। उसे तुरंत ही ये एहसास हो गया कि यहां कुछ तो गड़बड़ है। उसने अपने पास खड़े एक व्यक्ति से इस बारे में बात करनी चाही तो उसने तुरंत ही कह दिया कि उसे अपने काम से मतलब रखना चाहिए। तभी मेरी बहन ने देखा कि बच्ची के साथ जो आदमी था वो किसी को फोन करने की कोशिश कर रहा है लेकिन नेटवर्क कम होने की वजह से वो किसी से बात नहीं कर पा रहा। इसके बाद जो मेरी बहन ने किया वो 'प्रेजेंस ऑफ माइंड' का उम्दा नमूना है। उसने समय रहते ही ऐसा निर्णय लिया कि एक जिंदगी बच गई।
 

वो उस संदिग्ध व्यक्ति के पास गई और उसने कहा कि क्या मैं आपका फोन ले सकती हूं? मुझे अपनी मां से बात करनी है। वो आदमी मान गया। फिर मेरी बहन ने उसके फोन से अपने नंबर पर कॉल किया और उसका नंबर सेव कर लिया। जब अगला स्टेशन आने ही वाला था तो मेरी बहन ने अपने फोन से उस व्यक्ति को फोन कर दिया और कॉल म्यूट पर लगा दी। जब वो व्यक्ति हेलो-हेलो कर ही रहा था तो ट्रेन का दरवाजा खुल गया।

मेरी बहन ने मौका पाते ही उस लड़की का हाथ खींचा, उसे बाहर निकाला और उसे जमीन पर लेटा दिया जिससे कि वो आदमी बच्ची को देख न सके। उसने देखा कि वो आदमी उस बच्ची को ढूंढने की कोशिश कर रहा है। लेकिन तब तक दरवाजा बंद हो गया और ट्रेन आगे चल दी।
 

जैसे ही ट्रेन आगे बढ़ी, मेरी बहन ने तुरंत ही सुरक्षाकर्मियों को बुलाया और लड़की को उनके हवाले करते हुए पूरी कहानी बताई। जब वो बच्ची होश में आई तो उसने तुरंत ही अपने घरवालों को फोन किया। बाद में पता चला कि बच्ची के घरवाले उस आदमी को नहीं जानते थे। यानी वो उसका अपहरण करके ले जा रहा था। 

बच्ची के घरवालों ने मेरी बहन का शुक्रिया अदा किया और उससे मिलने की इच्छा जताई। लेकिन मेरी बहन ने उनसे मिलने से मना कर दिया। मैं यही कहना चाहता हूं कि मेरे परिवार को मेरी बहन पर बहुत गर्व है और जो उसने किया वो 'प्रेजेंस और माइंड और हार्ट' का एक अच्छा उदाहरण था।

आमतौर पर हम अपनी जिंदगी में इतने बिजी होते हैं कि अगर हम किसी को मुसीबत में देखते हैं तो भी उसे अनदेखा कर आगे बढ़ जाते हैं। यहां लोग बड़े एक्सीडेंट पर भी ध्यान नहीं देते और वहीं इस लड़की ने एक छोटे से शक पर भी एक बड़ा कदम उठाया और उस बच्ची की जान बचा ली। अगर लोग वक्त रहते एक दूसरे की मदद करते रहेंगे तो निश्चित ही अपराध का स्तर कुछ कम हो जाएगा।
 

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