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वर्णिका कुंडू हरियाणा की हैं। आईएएस अधिकारी वीएस कुंडू की बेटी हैं। जिनके बारे में ज्यादा बताने की जरूरत नहीं। सोशल मीडिया और न्यूज चैनल पर इन दिनों जिनकी चर्चा है... वो नाम है 'वर्णिका'। वर्णिका को मेरे जैसी हर एक लड़की आज सलाम कर रही है। उन्हें धन्यवाद देना चाहती है।
वर्णिका के साथ छेड़खानी करने वाले को कानूनी तौर पर सजा भले न मिले लेकिन वर्णिका के एक साहसिक कदम ने हर लड़की को बहुत बड़ी हिम्मत दी है। आज हर जगह वर्णिका के नाम का गुणगान हो रहा है।
डियर वर्णिका...
मैं भी एक छोटे शहर की लड़की हूं। इंडिपेंडेंट हूं। छोटे शहर से होकर मैंने हैरेशमेंट और मोलेस्टेशन जैसी कुछ अजीबों गरीब चीजें इंसान की दिनचर्या में देखी… महसूस की… हर दिन ही मुझे अपने लड़की होने पर थोड़ा अफसोस होता रहा। क्योंकि मुझ जैसी लड़कियों को आज भी अपनी बात खुलकर बोलने के लिए किसी दूसरे का मुंह ताकना पड़ता है। अपनी बात सामने रखने के लिए कई बार सोचना पड़ता है। लड़कियां अक्सर डर जाती हैं, और डर की वजह से अपने साथ हो रही हिंसा या छेड़खानी पर चुप्पी साध लेती हैं।
इसी चुप्पी को तोड़कर तुमने हर एक लड़की के दिल में ताकत को भरा है। चुप रहकर कड़ी से कड़ी हिंसा सह जाने वाली लड़कियों को भी तुमने बोलने की हिम्मत दी है। बहुत बार हम साथ ढूंढ़ते हैं, और सोचते हैं कि अगर कोई साथ दे तो हम किसी भी चीज के लिए आवाज उठाएं। लेकिन तुमने अकेले होकर भी वो काम कर दिखाया जो बड़े बड़े लोग सिर्फ सोचकर रह जाते हैं।
अक्सर कुछ लोग अपनी जाति और पद का हवाला देकर लड़कियों को डराते हैं, धमकाते हैं, छेड़खानी करते हैं। लड़कियां डर से कुछ नहीं कर पातीं। लेकिन लड़कियों को कमतर आंकने वालों को तुमने अच्छा सबक सिखाया।
मेरे जैसी न जानें कितनी लड़कियां हर रोज बस में, ट्रेन में, अॉटो में यहां तक कि घर में भी मोलेस्टेशन का शिकार होती हैं, और किसी न किसी डर की वजह से इस बारे में बात नहीं कर पाती हैं। क्योंकि उन्हें इज्जत की परवाह होती है, वो अंदर ही अंदर सहमी हुई रहती हैं। यहां आज भी कुछ लोग इसी सोच पर चलते हैं कि 'लड़ाई तो आदमी ही कर पाते हैं, लड़कियां तो सिर्फ एक मैटेरियल हैं'। ऐसी दकियानूसी सोच रखने वालों के बीच में घिरी हुई हम जैसी तमाम लड़कियों के लिए तुम एक ठोस उदाहरण बनकर सामने आई हो।
अपने साथ हुई छेड़खानी को सामने लाकर, देश के सबसे बड़े वर्ग के खिलाफ आवाज उठाकर तुमने हम जैसी कई लड़कियो को हिम्मत दी है। आज भी जहां कुछ लोग लड़कियों को कमजोर समझते, उसी समाज के लोगों की इस सोच को ढाहते हुए तुमने बड़े बड़े लोगों को कड़ा संदेश दिया है। जिसका गुणगान आज हर कोई कर रहा। तुम्हें मेरी जैसी हर लड़की का सलाम।
डर के आगे 'जीत' का सबसे बड़ा उदाहरण सिर्फ वर्णिका नाम है।
थैंक्यू।