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हर घर की लगभग एक सी कहानी है। मां सुबह सबसे पहले उठती है और सबसे देर में सोती है। भाइयों के मुकाबले बहनों को घर के काम में हाथ बंटाना पड़ता है, उन्हें आराम का वक्त ही नहीं मिलता। महिला कामकाजी है तो जरूरी नहीं कि घर के काम से उसे आराम मिल जाए। नींद विशेषज्ञ डॉ. ऐमी रेनॉल्ड्स का मानना है कि महिलाओं की नींद उम्र के हिसाब तक कम ज्यादा होती है। अगर वह खुद को स्फूर्त और स्वस्थ देखना चाहती हैं तो सही नींद लें। यह आयुवर्ग के हिसाब से अलग-अलग है।
5 से 16 साल तक की किशोरियां
औसतन 8 से 10 घंटे की नींद जरूर लेनी चाहिए। कम से कम 7 घंटे तो सोना ही चाहिए। अधिकतम 11 घंटे से ज्यादा सोना भी सेहत बिगाड़ सकता है। इस उम्र में फोन और इंटरनेट पर ज्यादा समय बिताने से शारीरिक विकास पर असर पड़ता है। इसलिए फोन का इस्तेमाल सिर्फ एक घंटा काफी है। इस उम्र में सुबह सोना और शाम के समय पढ़ना चाहिए।
18 से 25 साल की नौकरीपेशा युवतियां
7 से 9 घंटे की नींद जरूरी है। लाइट जलाकर सोना और सोने से पहले बातें करना, दो ऐसी बातें हैं, जो बेड पर लेटने के बाद भी नींद न आने की वजह बनती हैं। इस उम्र में युवतियां चाय/कॉफी का सेवन खूब करती हैं। लेकिन सोने का मूड है तो कॉफी न पीयें।
माएं (26 से 60 वर्ष)
7 से 9 घंटे की नींद पर्याप्त है। इससे कम सोना सेहत पर बुरा असर डाल सकता है। माओं के लिए सोने से पहले कोई कहानी की किताब पढ़ना भी फायदेमंद साबित हो सकता है। लेकिन कम नींद ली तो वजन बढ़ने की खतरा और सामान्य सर्दी-जुकाम की आशंका बढ़ जाती है।
60 साल के बाद
7 से 8 घंटे की नींद वह भी सिर्फ रात में पर्याप्त है। रात में नींद नहीं आती है तो डॉक्टरी सलाह लेना जरूरी है। दिन में भी थोड़ा आराम किया जा सकता है। टहलना फायदेमंद और आहार में भी हल्की चीजों को शामिल करना चाहिए।