लड़कियां तुम ये नहीं कर सकती वो नहीं कर सकतीं। तुम्हें ये नहीं करना चाहिए। तुम्हें वहां नहीं जाना चाहिए। ये सेफ नहीं होगा, वो सेफ नहीं होगा। इंडिया बहुत ही बेकार जगह हो गई है। लड़कियां यहां कभी सेफ नहीं हो सकतीं। और भी एक नहीं हज़ारों बातें जो लड़कियों को घर में बांध के बिठाने के लिए घर वाले करते आए हैं।
लेकिन इसी बीच एक और लड़की आती है। नाम है ईशा गुप्ता। लखनऊ की रहने वाली हैं। वैसे इशा का अपना केरला से भी रिश्ता है। इनकी मम्मी केरला से हैं। ईशा जब बड़ी हुईं तो अपनी पढ़ाई खत्म करने के बाद। ओबेरॉय ग्रुप से जुड़ गईं। काम किया। कुछ दिन और किसी बड़ी कम्पनी में काम किया। फिर सब छोड़-छाड़ के घूमने निकल गईं।
source: Yourstory.com
ईशा अभी 37 साल की हैं। सिर्फ ये बताने के लिए कि 'इंडिया सेफ नहीं है' यह एक बेहद ही बकवास बात है। इसके लिए अकेले बाईक से निकल गईं इंडिया घूमने और एक ही बार में 16 राज्यों के चक्कर काट लिए। और इसी के साथ ये रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया।
रिकॉर्ड: एक देश के अंदर किसी लड़की द्वारा बाईक से घुमा गया सबसे लम्बा ट्रिप था ये।
इसी बात को आगे बढ़ाते हुए, ईशा फिर से कहती हैं, "इसका ये कतई गलत मतलब नहीं निकलना चाहिए कि मैं उन कुछ बेवकूफों को चैलेंज करने की कोशिश कर रही हूं। लेकिन हम लोग अपने देश की सभी अच्छाइयों को भूल के सिर्फ और सिर्फ इसकी कुछ कमियों पर लगातार बातें करते रहते हैं। और मेरा अकेले घुमने का मतलब भी यही था कि लोग अपने देश की अच्छाइयां भी जानें।"
इस जर्नी से पहले जब ईशा जॉब कर रही थीं। तो वो इस सब से निकल कर थोड़ा ब्रेक लेना चाह रहीं थीं। वो होता नहीं है, इंसान रोज एक ही जैसा काम करके थक जाता हो। और फिर ईशा ने घूमने का सोचा। दोस्तों से हेल्प लिया। बाईक चलाना सीख गईं। फिर अपनी एक बाईक खरीदी। बजाज एवेंजर, और इसको नाम दिया 'मिक्की'। यह बात है 2012 की।
अपने ट्रिप का एक किस्सा सुनाती हैं। कहती हैं, मदुरई,तमिलनाडु के पास एक लोकल फैमिली के पास मैं रुकी। तो वो लोग सिर्फ मुझे अच्छे से सोने के लिए खुद ज़मींन पर सो गए। ताकि मैं बेड पर सो सकूं। उनके पास एक ही बेड था, घर पर।
ऐसा ही एक बार ओडिशा में भी हुआ। बारिश शुरू हो चुकी थी। मेरे बाईक का स्पीडोमीटर खराब हो गया था। मेरा फोन भी बंद हो गया था। और अब रास्ते का भी अंदाजा नहीं था। तब एक होटल के पास रुक गईं। होटल वाले होटल बंद कर रहे थे। जब उनसे बात हुई तो। उन्होंने फिर से होटल को खोला और खाना-वाना खिलाया।
आखिरकार ईशा कहती हैं, "अगर आपको किसी चीज़ को गलत साबित करना है तो पहले आपको खुद को इस डर से बाहर निकलना होगा कि कहीं मैं ही गलत साबित ना हो जाऊं। अपनी क्षमता पहचानिये और बस बढ़ जाइए। हारने का डर आपको कहीं पहुंचने नहीं देगा।"
अब एक और बात बतात हूं, जो कही गई है कि महिलाएं पुरुषों से कहीं ज्यादा सामर्थ्यवान हैं और उनसे बेहतर काम करने की क्षमता रखती हैं। अब भरोसा हो गया न?