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गूगल पर हर मर्ज का इलाज मिल जाता है। डॉक्टर से एप्वाइंटमेंट चाहिए हो या फिर किसी जगह की कोई भी जानकारी जगह का नाम लिखते ही गूगल पर आपके सवालों के साथ दस और नई चीजों के साथ गूगल बाबा हाजिर हो जाते हैं। लेकिन इस खोज बीन के बीच गूगल महाराज को इस समाज की तरह महिलाओं पर भी नजर रखने की क्या जरूरत पड़ गई।
अब महिलाएं जरा कम टेक्नोसेवी होती हैं तो डॉक्टर गूगल इसके पीछे जैविक कारण तलाशने लगे हैं। अब भाई, आपको और कुछ नहीं मिला शोध करने के लिए कि आप महिलाओं पर शोध करने लगे। ठीक है महिलाएं हॉट टॉपिक हैं, हर समय ट्रेंड में बनी रहती हैं लेकिन गूगल जी एक बात समझ नहीं आई कि आप तो खुद ही सर्च इंजन हैं तो आपको महिलाओं का सहारा लेने की क्या जरूरत पड़ गई।
आप तो इस देश क्या दुनिया में ट्रेंड करते हैं..दुनिया को ट्रेंडिग बताते हैं फिर महिलाएं और उनका जैविक आधार क्यों? मान लिया आपके अंदर कुलबुलाहट थी कि महिलाएं क्यों नहीं है तकनीकी क्षेत्र में, तो जनाब महिलाएं इसलिए नहीं है क्योंकि वो अपना सारा ध्यान पुरुषों को तकनीकी रूप से समृद्ध बनाने में लगा रही हैं। जहां तक पुरुषों के रुझान की बात है तो महिलाएं अगर अपना रुझान तकनीक में लगा देंगी तो आप वहां भी पिछड़ जाएंगे।
जिस दिन वो विचार के साथ भावनाओं को मिला देंगी तो वो तकनीकी में भी अव्वल हो जाएंगी। देखिएगा कहीं महिलाएं आपके शोध को सीरियसली न ले लें वर्ना एक क्षेत्र में जहां खुद को अव्वल समझ रहे हैं वहां भी पिछड़ते नजर आएंगे।
गूगल ने टेक्नोलोजी के क्षेत्र में महिलाओ की अगुआई न होने पर ही रिसर्च कर डाली है। शोध तक तो ठीक था अब ये भी कह दिया कि महिलाओ की कमी के लिए उनके जैविक कारणों को जिम्मेदार बताया है। अब ये जैविक कारण पर बात निकलेगी तो दूर तलक जाएगी। उसे किसी ने लीक भी कर दिया है।
गूगल ने वैसे तो इस विवाद से अपना हाथ खींच लिया है और सारी जिम्मेदारी उस इंजीनिरयर पर डाल दी है जिसने उस रिसर्च को लीक कर दिया है। वैसे इंजीनियर थोड़ा सा समझदार था क्योंकि उसने ये भी लिखा कि लैंगिक अंतर को लिंग भेद नहीं समझना चाहिए, लेकिन इंजीनियर साहब भेद तो भेद ही होता है लैंगिक हो या लिंग भेद।