Home Feminism India S First Female Motorcyclist Rode Into The Well Of Death

44 घंटे तक लगातार मौत के कुएं में बाइक चलाने वाली पहली भारतीय महिला!

Shweta pandey@firkee Updated Sat, 18 Mar 2017 10:25 AM IST
विज्ञापन
मौत का कुआं
मौत का कुआं
विज्ञापन

विस्तार

दर्शकों की चीखों के साथ ही शुरू हो जाता है ‘मौत का कुआं’। कुएं में उतरने वाले खिलाड़ी को इस बात का अंदाज़ा बिलकुल नहीं होता कि वो इससे ज़िंदा बाहर निकलेगा भी या नहीं? खैर, एक दर्शक के रूप में जब भी हम मेलों और सर्कस में जाते हैं, तो इस ‘शो’ को देखना नहीं भुलते। लकड़ी के इस कुएं में दर्शक ऊंचाई पर खड़े रहते हैं और मौत का खेल दिखाने वाले उसके भीतर। कुएं में कार और मोटरसाइकिल गुरुत्वाकर्षण के नियम को धोखा देती दिखाई देती हैं...


इस मौत के खेल को मर्दों का खेल ही माना जाता है। लेकिन मुनिरा अब्दुल सत्तार मदनी ने लोगों की इस सोच को बदलने का काम किया है। मुनिरा भारत की पहली ‘मौत का कुआं’ खेल की मोटरसाइकिलिस्ट हैं। इन्होंने मात्र 7 साल की उम्र में इस कुएं में कदम रख दिया था। आज हम आपको इस जांबाज़ महिला की कहानी बता रहे हैं...

The advertisement inviting people to come see Munira in action at the al sha'ab leisure park, Kuwait
 

अपने पिता की राह पर चलीं मुनिरा...(like father like daughter)


मुनिरा बताती हैँ कि 'जब उन्होंने पहली बार बाइक चलाने की कोशिश की थी, तो उनके पैर भी ठीक से नीचे नहीं पहुंच रहे थे। इसकी शुरुआत तब हुई थी, जब मुनिरा के पिता जवान थे और वे मुंबई में एक गैराज चलाते थे। उन्होंने बताया कि एक अफ़्रीकी व्यक्ति ने उनके पिता से मौत का कुआं बनाने के लिए मदद मांगी। उन्होंने उसकी बात मान ली और जब मौत का कुआं तैयार हो गया, तो मुनिरा के पिता ने बाइक उठाई और उस मौत के कुएं में अपनी किस्मत आज़माने निकल पड़े।

बाद में उन्होंने इसे अपने जीवन का हिस्सा ही बना लिया। मुनिरा के पिता ने अफ़्रीका सहित भारत के कई हिस्सों में ढेरों शोज़ किए थे। उन्होंने अपनी बेटी को इस क्षेत्र में तब किस्मत आज़माने को कहा जब वो महज़ सात वर्ष की थी।

मुनिरा बताती हैं कि 'उन्हें सीखने का शौक था, इसलिए वो अपना अधिकतर समय ट्रेनिंग में ही बिताती थीं। वह ट्रेनिंग में इतनी ज़्यादा व्यस्त रहती थीं कि खाने के नाम पर सिर्फ़ चिप्स और जूस ही लेती थीं। मुनिरा ने लगातार 24 घंटों तक बाइक चलाई है। और हां ये जानकर तो आपकी आंखें और फैल जाएंगी कि उन्होंने Tarneta Mela में 44 घंटों तक बाइक चलाई थी'.. 

Shots from Munira's calendar shoot

अभ्यास बनाता है, बेहतर...


मुरिना ने 1981 में गुजरात के सुरेन्द्र नगर में लगे Tarnetar Mela में हिस्सा लिया था और बिना रूके मौत के कुएं में 44 घंटों तक बाइक चलाई थी। उन्होंने 1985 के उस Motocoross Tournament के बारे में भी बताया, जिसमें 72 पुरुष प्रतिभागियों के बीच केवल दो महिलाएं ही थीं। इस चैंपियनशिप में मुनिरा को दूसरा स्थान मिला था। 

MKK-4

70 के दशक से पहले और 80 दशक के शुरुआती दौर में मुंबई भीड़-भाड़ वाली जगह नहीं हुआ करती थी। वहां इतनी जगह थी कि मेलों में ‘मौत का कुआं’ लगाया जा सके। माहिम मेला, प्रभा देवी मेला, अंबेडकर जयंती उत्सव और गोरेगांव में छोटे मेलों के लिए जगह थी। उस समय उनके पास ऐसे कई मौके थे, जिनमें वो अपनी कला का प्रदर्शन कर सकती थीं। मुनिरा ने भारत सहित दुबई, कुवैत और अरब के दूसरे हिस्सों में भी इस प्रतिभा का प्रर्दशन किया है। यहां तक कि उन्हें सऊदी अरब के उस शो में भी हिस्सा लेने की अनुमति मिल गई थी, जिसमें महिलाओं के लिए हिस्सा लेना मना था। 

प्यार, मोटरसाइकिल और ज़ीनत अमान


मुनिरा के पति सलीम सैय्यद मुस्कारते हुए कहते हैं कि मुनिरा देखने में बॉलीवुड की खूबसूरत अभिनेत्री ज़ीनत अमान जैसी हैं। 1978 में सलीम अपने दोस्तों के साथ माहिम मेले में गए थे, जहां उन्होंने मुनिरा को देखा। वे बाताते हैं कि पहली नज़र में ही उन्हें मुनिरा से प्यार हो गया था। दोनों के प्यार की शुरुआत का कारण बाइक ही थीं, क्योंकि दोनों को मोटरसाइकिल्स बेहद लगाव था। धीरे-धीरे उनके प्यार की कहानी आगे बढ़ने लगी। दोनों सुन्नी मुसलिम परिवार से ताल्लुक रखते है। सलीम के परिवार ने दोनों की शादी से इंकार कर दिया, जिसके कारण उन्होंने परिवार वालों से छुपकर ही शादी कर ली। परिवारों को कुछ महीनों बाद इस बात का पता चला। खैर, अंत में उनके प्यार को घरवालों ने अपना लिया... 

Munira's mother and father riding together.

सैय्यद कहते हैं, 'लोग पागल हो जाते थे, जब मुनिरा मौत के कुंए में उतरती थीं। और हां, शो के बाद उनके फैन उन्हें घेर लेते थे। यहां तक राइड के दौरान मुनिरा कुछ सेकेंड के लिए अपने दोनों हाथ हवा में लहरा देती थीं। वे बाताते हैं कि इस खेल का सबसे मुश्किल हिस्सा होता है, 22 फुट ऊंचे कुएं में तेज़ रफ़्तार कार या बाइक को सही सलामत ज़मीन पर उतारना। अधिकतर घटनाएं इसी के दौरान होती हैं'... 

Munira waving off a race

मुनिरा ने 1979 में रवि टंडन की फ़िल्म ‘झुठा कहीं का’ में स्टंट किए थे। इसके बाद उन्हें कई फ़िल्मों में अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला। यहां तक कि उन्होंने उस दौर के एक जाने-माने नाम के साथ कैलेंडर के लिए फोटोशूट भी किया।

24 भाई-बहनों के साथ बड़ी हुई मुनिरा की ज़िंदगी में कई बधाएं आईं, लेकिन उन्होंने सबको पीछे छोड़ते हुए मौत के कुएं में अपना नाम बनाया। 
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन
विज्ञापन

Disclaimer

अपनी वेबसाइट पर हम डाटा संग्रह टूल्स, जैसे की कुकीज के माध्यम से आपकी जानकारी एकत्र करते हैं ताकि आपको बेहतर अनुभव प्रदान कर सकें, वेबसाइट के ट्रैफिक का विश्लेषण कर सकें, कॉन्टेंट व्यक्तिगत तरीके से पेश कर सकें और हमारे पार्टनर्स, जैसे की Google, और सोशल मीडिया साइट्स, जैसे की Facebook, के साथ लक्षित विज्ञापन पेश करने के लिए उपयोग कर सकें। साथ ही, अगर आप साइन-अप करते हैं, तो हम आपका ईमेल पता, फोन नंबर और अन्य विवरण पूरी तरह सुरक्षित तरीके से स्टोर करते हैं। आप कुकीज नीति पृष्ठ से अपनी कुकीज हटा सकते है और रजिस्टर्ड यूजर अपने प्रोफाइल पेज से अपना व्यक्तिगत डाटा हटा या एक्सपोर्ट कर सकते हैं। हमारी Cookies Policy, Privacy Policy और Terms & Conditions के बारे में पढ़ें और अपनी सहमति देने के लिए Agree पर क्लिक करें।

Agree