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अपने दिन की शुरुआत चाय के बिना कल्पना कर सकते हैं? बहुत से लोगों का जवाब 'नहीं' होगा लेकिन चाय के विषय में कितना जानते हैं आप? अगर नहीं जानते तो ये जानना आवश्यक है कि लगभग तीन सदियों दो सदियों बाद पहली बार ये महिला बनी असम चाय बागान की प्रबंधक बाद कोई महिला टी एस्टेट की पहली महिला प्रबंधक बनी है।
1800 के दशक में, अंग्रेजों ने चीनी चाय व्यापार के एकाधिकार को तोड़ने के लिए भारत में चाय की खेती की शुरुआत की। उन्होंने असम में चाय बागानों का निर्माण किया और मणिरम दीवान भारत के पहले व्यक्ति हैं जिनको चाय बागान स्थापित करने का श्रेय दिया जाता है।
तब से अब तक चाय बागान एक पुरुष वर्चस्व वाला क्षेत्र रहा है।लेकिन महिलाएं जैसे हमेशा से ही अपनी छाप हर क्षेत्र में छोड़ती आईं हैं वैसे इस क्षेत्र को महिला कैसे छोड़ देती। जी हां, एपीजे चाय ने तिनसुकिया जिले में हिल्का टी एस्टेट का प्रबंधन करने वाली पहली महिला के रूप में मंजू बरुआ को नियुक्त किया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया को दिए गए एक साक्षात्कार में मंजू बरुआ ने बताया की, चाय बागान में जैसे ऊंचे पद पर कार्यरत लोगों को 'बड़ा साहब' कहकर बुलाते हैं वैसे ही काम पर लोग मुझे 'बड़ा मैडम' कहकर बुलाते हैं। कभी -कभी तो गलती से मुझे सर भी कह देते हैं लेकिन मैं इसे एन्जॉय करती हूं।
633 हेक्टेयर में फैले चाय बागान पर चलने वाले काम की जांच के लिए मंजू मोटरबाइक पर निकलती हैं। मंजू ने एमबीए की पढ़ाई की है और वो आईपीएस अफसर बनना चाहती थीं लेकिन पिता के रिटायरमेंट के बाद आर्थिक समस्याओं के चलते उन्हें आगे बढ़ना पड़ा। मंजू ने ट्रेनी वेलफेयर अफसर के तौर पर शुरुआत की थी।
अपने साक्षात्कार के अंतर्गत मंजू ने बताया की, 'एक महिला प्रबंधक निश्चित रूप से चाय बागान की पारंपरिक प्रबंधन संरचना में व्यवधान है, लेकिन यह एक अच्छा व्यवधान है। चाय बागान का काम अधिकतर सड़क पर होता है और शारीरिक शक्ति की आवश्यकता होती है लेकिन यहां पुरुषों से अधिक महिलाएं काम करती हैं। चाय उद्योग बेशक मेहनत का काम है, इसलिए मुझे लगता है कि चुनौती पुरुषों और महिलाओं के लिए समान है।'