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मशहूर फैशन डिज़ाईनर मसाबा गुप्ता ने अपनी इन्स्टाग्राम पोस्ट से एक बहुत महत्त्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। उन्होंने अपनी 2 तस्वीरों को पोस्ट करते हुए ख़ूबसूरती को लेकर अपने विचार रखे हैं।
इस पोस्ट में मसाबा ने बताया है कि वो पिछले 14 सालों से एक्ने की समस्या से पीड़ित हैं। और इस बात ने उन्हें काफ़ी परेशान किया है। इसके अलावा वो अपने अधिक वज़न को लेकर भी काफ़ी परेशान रह चुकी हैं। इन दो बातों को उठाते हुए उन्होंने लड़कियों को एक खुला ख़त लिखा है।
मसाबा ने लिखा कि वो अपने चहरे को लेकर इतनी दुखी रहती थीं की स्कूल में भी वो कंसीलर लगा कर जाया करती थीं। इसके बाद वो कहती हैं कि आप में से भी कई लोग तरह-तरह की समस्या से जूझ रहे होंगे। उन्होंने लिखा कि आपको एक बार खुद को शीशे में देखना चाहिए और अगर रोना आता है तो जी भर कर रो लेना चाहिए। लेकिन इसके बाद आपको खुद को बेहतर बनाने में लग जाना चाहिए।
साथ ही आपको अपने प्लस पॉइंट पर भी ध्यान देते हुए फिर खुद को लेकर उत्साहित भी महसूस करना चाहिए। वो कहती हैं कि आपको ऐसे लेख पढ़ने की ज़रूरत नहीं है जिसमें अंदरूनी ख़ूबसूरती की बात की गई है। अगर आपके लिए ख़ूबसूरती का मतलब बहुत सारा मेकअप लगाकर घर से बाहर निकलना है तो ऐसा ही करिए।
अगर आपको अपने चहरे के दाग-धब्बों से कोई दिक्कत नहीं है और उन्हें वैसा ही दिखाना पसंद है तो आप वैसी ही रहिए। वो कहती हैं कि अपने सारी कमियों को एक साथ लेकर उनसे कुछ बहुत सुंदर बनाइए।
यहां मसाबा ने एक बेहद अहम मुद्दा उठाया है। उन्होंने लोगों के निर्णायक की भूमिका में आ जाने पर कटाक्ष किया है। इसका मतलब ये है कि कई बार हम अपनी राय दूसरों को देखकर बदल लेते हैं। यानी अगर लोग कहते हैं कि मेकअप करना अच्छा है तो हम वैसा करने लगते हैं वहीं अगर लोग इसे दिखावा कहते हैं तो हम भी उसी तरह से चलने लगते हैं।
आपने अक्सर लोगों को कहते सुना होगा कि यार वो तो पूरे दिन रंगी-पुती रहती है। उसे बिना मेकअप के देख लोगे तब असलियत पता चलेगी। इस बात से एक ये बात निकल कर आती है कि ऐसा कहने वाले कहीं न कहीं सामने वाली लड़की से जलते हैं। जबकि वो लड़की अपने रूप को लेकर पूरी तरह से कॉन्फिडेंट है।
अगर कोई मेकअप करके बेहतर महसूस करता है तो वो सही है और किसी को मेकअप करना नहीं पसंद तो केवल इस वजह से उसे पिछड़ा हुआ नहीं कहा जा सकता। लोगों की बातों का असर अपने व्यक्तित्व पर कभी नहीं पड़ने देना चाहिए। हर व्यक्ति को ज़िंदगी को अपने ढंग से जीने का हक़ है।
महिलाओं को हमेशा ही ख़ूबसूरती के साथ जोड़ दिया जाता है जिसकी वजह से उनके ऊपर अच्छा दिखने का अधिक दबाव रहता है। बेहतर होगा कि महिलाएं अपने ऊपर से इस दबाव को पूरी तरह से हटा कर अपने जीवन में निरंतर आगे बढ़ती रहें।