विस्तार
आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि महिलाएं बहुत डरपोक होती हैं। घर में अगर किसी छोटी सी छिपकली को भी भगाना होता है तो औरतें तुरंत पीछे हट जाती हैं और पुरुष उससे छुटकारा पाने में लग जाते हैं। असल में हर घर की कहानी बिल्कुल अलग होती है।
असल में महिलाओं को कमज़ोर मान ही लिया गया है। लेकिन कुछ महिलाएं ऐसी भी हैं जो इन सारी बातों को अपनी हिम्मत से गलत साबित कर रही हैं। क्या आपको पता है कि भारत में सांप केवल पुरुष ही नहीं पकड़ते बल्कि महिलाएं भी पकड़ती हैं!
बोईसार की मोटर फैक्ट्री में जब एक सांप घुस आया तो 40 साल की वैशाली चौहान तुरंत ही वहां मोर्चा संभालने पहुंच गईं। लेकिन उनके सामने ये समस्या पैदा हो गई कि वहां रखे हुए भारी सामान को वो उनकी जगह से हिला नहीं पा रही थीं। ऐसे में उन्होंने फैक्ट्री में काम करने वाले मज़दूरों से कहा कि वो आकर उस सामान को हटा दें लेकिन इस बात के लिए कोई राज़ी नहीं हुआ।
इसके बाद वैशाली ने उस सामान को रस्सी से बांधा और मज़दूरों ने दूर खड़े होकर ही उसे खींच लिया। तब कहीं जाकर वो इस सांप को पकड़ पाईं। इससे पहले वो कई अजगर पकड़ चुकीं थी लेकिन ये उनके लिए बिल्कुल नया अनुभव था।
वैशाली का सांपों से सामना पहली बार उनके बच्चों के स्कूल में हुआ जहां एक सांप आ गया था। सांप पकड़ने वाले ने पहले उनसे उस बोतल को पकड़ने को कहा जिसमें सांप था, फिर दूसरे ही पल उन्होंने कहा कि रहने दो तुम एक औरत हो और तुम तो एक कॉकरोच देख कर ही चीख़ पड़ोगी। इस बात का वैशाली पर ऐसा असर हुआ कि उन्होंने उस व्यक्ति को ही अपना गुरु बना लिया।
इसके बाद वैशाली SARRP नामक संस्था में शामिल हो गईं और उन्होंने सांप पकड़ना सीख लिया। अब वो अंधेरे में भी सांप पकड़ सकती हैं। वैशाली जैसी कई दूसरी महिलाओं ने भी इस काम को अपने लिए चुना है। ये महिलाएं 'मुंबई' नामक कंक्रीट के जंगल में सांप पकड़ने का काम करती हैं। ये महिलाएं सांपों से बेहद प्यार करती हैं इसीलिए इन्होंने ये काम अपने लिए चुना।
मानसी नाथवानी को पूरे ठाणे से दिन में करीब 5 फ़ोन तक आ जाते हैं। पिछले साल मानसून में उन्होंने एक दिन में 5 कोबरा पकड़े थे। मानसी बताती हैं कि अलग-अलग तरह के सांपों को अलग-अलग तरह से रखा जाता है। इसलिए सांपों की पहचान होना बहुत ज़रूरी है। ज़हरीले सांप को बोतल में रखा जाता है वहीं बाकी सांपों को थैलियों में ही रखा जाता है।
गार्गी विजय राघवन बताती हैं कि जब वो छोटी थीं तो अपने पिता के साथ सांप पकड़ने जाया करती थीं। पहले उन्होंने सांपों के बारे में अच्छे से पढ़ा और उसके बाद आज वो 23 साल की उम्र में इस काम में पूरी तरह से माहिर हो गई हैं। एक बार गार्गी अपने पिता के साथ सांप पकड़ने गई हुई थीं तभी एक ज़हरीले सांप ने उनके पिता को डस लिया। गार्गी पहले तो अपने पिता को अस्पताल ले गईं उसके बाद वो फिर वहां वापस गईं और उस सांप को पकड़ा।
लोग इन महिलाओं को सांप पकड़ते हुए देख कर काफ़ी हैरान हो जाते हैं। एक बार चौहान जब एक सांप को पकड़ रही थीं तो वहां इतने लोग इकठ्ठा हो गए कि ट्रैफिक जाम लग गया। लोग अक्सर इन महिलाओं को सांप वाली आदि कहकर चिढ़ाते भी हैं लेकिन ये अपना काम बेझिझक किए जा रही हैं।
हमारे यहां लड़कियां इसलिए डर जाती हैं क्योंकि बचपन से उनका पालन-पोषण ही इस तरह से किया जाता है। अगर इन महिलाओं के माता-पिता की तरह सभी अपने लड़कियों को मज़बूत बनाने की ठान लें तो महिलाओं का ये चरित्र पूरी तरह से बदल जाएगा। हमें ये याद रखना चाहिए कि समाज हम से है और जैसे हम हैं वैसा ही है।
हम बदल जाएंगे तो समाज भी बदल जाएगा।