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मुगल शासन से लेकर गुगल शासन तक और त्रेता युग से लेकर ट्रेंडिंग युग तक, महिलाओं के साथ छेड़छाड़ के मामलों में बढ़ोतरी ही देखने को मिली है। दफ्तर की बिल्डिंग भले ही चमचमाती हो लेकिन वहां काम करने वालों कि नीयत में अपने आप खोट आ जाता है। सरकारों ने आज से पहले कई सारे प्रयास किए हैं लेकिन वो कुछ खास कारगर नहीं रहे हैं।
मोदी सरकार की तरफ से भी एक पहल की गई है। दफ्तरों में होने वाली उत्पीड़न की शिकायत के लिए सरकार ने एक खास तरीके का पोर्टल तैयार किया है। जिसका नाम है सेक्सुअल हरासमेंट इलेक्ट्रॉनिक बॉक्स, यानि की शी बॉक्स। यहां वो महिलाएं अपनी शिकायत दर्ज करा सकती है जो दफ्तर में अपने कलीग्स और बॉस के उत्पीड़न से परेशान हैं लेकिन कुछ कह नहीं पा रही है।
वैसे को ऐसे प्रयासों की सराहना करनी चाहिए लेकिन सरकार और शासन को ये समझना चाहिए कि पोर्टल बनाने से प्रयास की संख्याओं को तो बढ़ाया जा सकता है लेकिन मामलों को असल तरीकों से रोकना है तो सबसे पहले लोगों की मानसिकता को बदलना होगा। इसके लिए सरकार से ज्यादा समाज और संस्कारों को प्रयास करना होगा। नहीं तो पोर्टल बनते रहेंगे और महिलाओं को दम दफ्तरों की चार दीवारी में घुटता रहेगा।