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हमारे देश में औरतों की बदहाली किसी से छुपी नहीं है। औरतों पर अलग-अलग तरीके से अत्याचार और बदसलूकी किसी न किसी रूप में हमारे सामने आ ही जाती है। दिल्ली के बॉर्डर पर रहने वाले परना समुदाय को ही ले लिए लीजिए। पेसिफिक स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक इस समुदाय में वेश्यावृति कई पीढ़ियों से चली आ रही है।
जी हां, इस समुदाय की महिलाओं को उनके पति इस ‘घिनौने धंधे’ में धकेलते हैं। और फिर यही उनकी ज़िंदगी बन जाता है।
धरमपुरा में रहने वाली रानी भी इसी समुदाय से आती है। रात 2 बजे घर से निकल कर रोज़ाना पांच कस्टमर्स को ‘सर्विस’ देना उसकी ज़िंदगी का एक हिस्सा बन गया है। उसे पुलिस की नज़रों से बचते-बचाते निकलना पड़ता है। वो बताती है कि पुलिस वाले न सिर्फ़ उसका सारा पैसा छीन लेते हैं, बल्कि ‘फ्री सेक्स’ की डिमांड भी करते हैं। रानी सुबह 7 बज़े घर जाकर अपने पति और बच्चों को नाश्ता खिलाती है और फिर खुद कुछ आराम करती है।
रानी अपने शादी के दिन को याद करती है और फिर बताती है कि दो साल के बाद ही यह सिलसिला शुरू हो गया। वो कहती है, “मैं जानती थी कि यह होगा। यह आम है और मुझे परिवार पालने के लिए यह सब करना पड़ता है।”
एक और परना महिला होरबाई कहती है कि यह हर लड़की के साथ होता है। आपको इसकी आदत पड़ जाती है। वो सिलाई-बुनाई का काम सीख रही थी, मगर माता-पिता की मौत के बाद उनके रिश्तेदारों ने किसी अंजान आदमी से उसकी शादी कर दी। फिर उसे भी इस दलदल में धकेल दिया गया। पति की भी मौत हो गई और उनके पास ‘इसके’ अलावा कमाई का कोई ज़रिया नहीं बचा।
मगर होरबाई अपने पति की मौत से दुखी नहीं हैं। उनका कहना है, “अगर वो ज़िंदा होते तो, मेरी बेटियों पर भी रोकटोक होती। अब मैं अपने परिवार को पाल सकती हूं और बच्चों को स्कूल भेज सकती हूं। मैं उनके लिए खुश हूं, मगर अपने लिए नहीं”
वो चाहती है कि उनकी बच्चियां पढ़े-लिखें और इस नर्क से दूर रहें। वो कहती है सेक्स सहमति पर होता है पर ये सब ठीक नहीं है।
ये बदकिस्मती है कि परना समुदाय की महिलाओं का अपने बच्चों पर कोई ज़ोर नहीं चलता और उनके बच्चों की शादी कच्ची उम्र में ही हो जाती है।
परना समुदाय की लड़कियों को नेपाल से भी सप्लाई किया जाता है। इन लड़कियों को कोठे पर ‘मैनेजर्स’ को बेच दिया जाता है, ताकि वो काम सीख सकें। लगातार रेप करके इन लड़कियों को काम सिखाया जाता है। इसके बाद इनके साथ बंधुआ मज़दूरों-सा सलूक होता है, जिसमें इन्हें एक रात में 10 या उससे ज़्यादा मर्दों के साथ सोना पड़ता है। इन औरतों को ₹200 प्रति कस्टमर मिल जाता है।
इन औरतों का कहना है कि दिल्ली में रेप होता है तो पूरी दिल्ली उफ़न जाती है, मगर इनके रेप की ओर तो किसी का भी ध्यान नहीं जाता।
सामाजिक कार्यकर्ता अभिलाषा कुमारी का कहना है कि जहां लोग एक तरफ वेश्यावृति को कानूनी रूप देने के लिए लड़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ इस बात पर कोई ध्यान नहीं दे रहा कि जो औरतें इस दलदल में हैं, क्या वो यहां रहना चाहती भी हैं या नहीं। यहां आप 10 साल की उम्र से ही रेप का शिकार हो रही हैं। उनके पास इसमें कोई च्वाइस ही नहीं।
आज़ादी और इच्छा के झूठे ढकोसले में जी रही रानी और होरबाई जैसी इन औरतों को अपना आज क़बूल है, पर दुआ करती हैं कि उनकी बेटियां इससे दूर रहें। वो चाहती हैं कि वो असली मायने में विमेंस डे मनाएं।