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हिंदुस्तान में ज्यादातर पेशेवर ड्राइवर्स पुरुष हैं, यहां महिलाओं की इस फील्ड में अब तक बहुत कम संख्या है।
खासकर छोटे शहरों में तो अब भी पेशेवर ड्राइवर नहीं हैं। ऐसे में अगर किसी शहर में कोई ऐसा काम करता है तो लोग उसे अचरज मानते हैं। कोलकाता में कुछ ऐसी ही चर्चा हो रही है प्रतिमा पोद्दार की। प्रतिमा कोलकाता की इकलौती महिला बस ड्राइवर हैं। वह निमिता हावड़ा पर रोजाना दो-तीन चक्कर लगाती हैं। पिछले 6 सालों में प्रतिमा से आज तक एक भी एक्सिडेंट नहीं हुआ।
प्रतिमा से पहले उसके पति ड्राइवर थे। लेकिन एक दुर्घटना ने उसने ड्राइविंग की क्षमता छीन ली। घर चलाने की जिम्मेदारी प्रतिमा पर आ गई। हालांकि प्रतिमा पहले से ही ड्राइविंग कर रही थीं। वह एक एंबुलेंस चालक थीं। उसके बाद वह बस चलाने लगी। फिलहाल वह सुबह साढ़े तीन बजे घर से निकल जाती हैं।
प्रतिमा कहती हैं, 'क्योंकि मेरे पति बस नहीं चला सकते इसलिए मैंने बस चलाने की जिम्मेदारी उठा ली और इस बात पर मुझे गर्व भी है कि आज तक मेरा एक्सिडेंट नहीं हुआ। मैं बाकी पुरुष ड्राइवरों के जैसे ही तेज बस चला सकती हूं, लेकिन मैं हमेशा सुरक्षा का पूरा ख्याल रखती हूं।'
खुद प्रतिमा को भी शुरू-शुरू में ड्राइविंग में जाने के बारे में भी सोचना अजीब लगता था। लेकिन पति के एक्सीडेंट के बाद उनके पास ज्यादा विकल्प नहीं बचे थे क्योंकि बस का लोन भी चुकाना था। ऐसे में प्रतिमा ने फैसला लिया कि अब एंबुलेंस छोड़ बस चलाएंगी।
हालांकि प्रतिमा बताती हैं कि उनकी रूचि ड्राइविंग में थी लेकिन उन्होंने कभी इसे रोजगार के तौर पर अपनाने की नहीं सोची। पति के एक्सीडेंट से पहले कुछ दिन तक प्रतिमा ने कंडक्टर के तौर पर का भी किया।