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जो मन, शरीर और आत्मा को जोड़कर एक करदे वो योग... नो डाउट, भारत ने योग के रूप में दुनिया का एक ऐसी नेमत दी है जिसमें कुछ वक्त नियमित तौर पर लगाने पर जीवन भर निरोगी रहा जा सकता है। लेकिन विडंबना यह है कि भारत में योग को धर्म की चीज मानकर बहस भी चलती है। लेकिन सऊदी अरब ने इसे बिना किसी बहस में पड़े अपनाया और खेल का दर्जा दिया। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जल्द ही सऊदी में योग सिखाने के लिए लाइसेंस जारी किए जाने लगेंगे। लेकिन एक जो सबसे चौंकाने वाली बात है, वह है एक लड़की की कहानी। जी हां, मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक सऊदी में योग को खेल का दर्जा दिलाने का श्रेय इस खूबसूरत जवान लड़की को जाता है।
35 वर्षीय नऊफ अल मारवाई को सऊदी की योग गुरु के रूप में जाना जाता है। वे लंबे समय से यहां योग सिखा रही है और सारे खाड़ी देशों में योग के लिए प्रचार कर रही हैं। नऊफ सऊदी की पहली महिला योग शिक्षक हैं। योग के कारण भारत से उनका गहरा नाता है और समय समय पर वे भारतीय योग गुरुओं से शिक्षा और मार्गदर्शन लेती रहती हैं। योग दिवस के मौके पर बढ़-चढ़कर उन्होंने हिस्सा लिया था। नऊफ के मुताबिक योग को किसी धर्म से नहीं जोड़ना चाहिए, यह शरीर को फिट रखता है, यही नहीं, मानसिक तौर पर स्वस्थ्य रहने के लिए भी योग जरूरी है।
नऊफ अरब योगा फाउंडेशन की संस्थापक हैं और उन्होंने 19 साल की उम्र में योग करना शुरू कर दिया था। अक्टूबर 2015 में भारतीय दूतावासों ने उन्हें सम्मानित किया था। नऊफ योग के साथ साथ आयुर्वेद एक्सपर्ट भी हैं। 2010 में इसके लिए उन्हें सर्टिफिकेट भी मिला था। वे जेद्दाह में नऊफ रियाद चाइनीज मेडीकल सेंटर की संस्थापक भी हैं। ये पहला सेंटर हैं जो यहां वैकल्पिक उपचार उपलब्ध कराता है। नऊफ गल्फ योग गठबंधन की रीजनल डायरेक्टर भी हैं। नऊफ के पिता मोहम्मद ने 1980 से पहले अरब मार्शल आर्ट फेडरेशन की स्थापना की थी। लेकिन नऊफ की दिलचस्पी योग में बढ़ी और भारतीय योग गुरुओं के संपर्क में आकर उन्होंने इसे अपना लिया।
बता दें कि भारत के अथक प्रयासों से दुनिया ने योग का लोहा माना और 27 सितंबर 2014 को संयुक्त राष्ट्र महासभा में योग दिवस मनाने के लिए स्वीकृति दी। तब से हर साल पूरी दुनिया 21 जून योग दिवस मनाती है।