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जब-जब लड़कियों या औरतों पर कोई उंगली उठया है तब-तब उनका मुंह बंद करने के लिए कुछ महान औरतों ने जन्म लिया है। हमारे समाज का एक बड़ा तबका आज भी पुरूषों और स्त्रीयों को काम के आधार पर बांटता है। हर काम को लड़कों और लड़कियों में बांट दिया गया है। जब लड़की खाना बना सकती है, पानी भरने बाहर के कुएं तक जा सकती है, घास छील सकती है, बच्चे पैदा कर सकती है, उन्हें संभाल सकती है तो क्या लड़की चांद नही छू सकती?
जिसने भी लड़कियों के काम-काज पर सवाल उठाया उनके मुंह बंद करने वाली महिलाओं से मिलते हैं.....
लड़कियां दो खानदान को आगे बढ़ाती हैं..
वो सब कुछ कर लेंगी जो लड़के नहीं कर पाते..
लड़कियां चाहें तो समाज बदल दें..
आवाज़ में दम हो तो पूरी दुनिया सुन ले..
वो खु़द कमजोर होते हैं जो लड़कियों को कमजोर कहते हैं..
एक औरत से सहरा लेने वाला भी मर्द ही होता है..
एक औरत ही शादी के बाद भी घर संभाल कर गोल्ड मैडल ला सकती है..
खेल-कूद कर भी लड़कियां दुनिया आसमान तक पहुंच सकती हैं..
एक मर्द जब एक औरत के आगे तब झुकता है जब वो खुद से हार जाए...
सीता भी औरत थीं जब राम जैसे महान पुरूष ने सीता पर उंगली उठाया तो सीता ने अग्नि परिक्षा देकर खुद को साबित किया। आज 21वीं सदी है लेकिन हर औरत के अंदर सीता जैसी देवी है।