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आज हम अति सुंदर लड़कियों के बारे में बात नहीं करेंगे। भई करें भी क्यों? सुंदर कौन है और कौन नहीं ये कौन तय करेगा? इसे आप या हम तय नहीं करते असल में इसे बाज़ार तय करता है। क्योंकि उसकी दुकान आपकी शारीरिक और मानसिक कमियों पर ही चलती है। अच्छा गोरे रंग को लेकर बहुत बातें होती हैं कि कैसे लोग जाने-अंजाने रंगभेद करते हैं।
लेकिन ऐसी कई और बातें भी हैं जिनपर लोग ख़ूबसूरती को तौलते हैं। आज हम बात करेंगे उन लड़कियों की जिनके चहरे पर मुहांसे/दाने/फुंसी/ईउ पिम्पल (जो आपको ठीक लगे कह सकते हैं) होते हैं। यकीन मानिए हम लोगों को ऐसी बातें सुननी पड़ती हैं जिन्हें सुनने के बाद सामने वाले का मुंह तोड़ देने का मन करता है, लेकिन अफ़सोस क्योंकि हम बेहद संस्कारी हैं इसलिए कुछ नहीं कह पाते।
1. पहली समस्या जो हम लोगों के साथ आती है वो ये कि हमारा चहरा देखकर लोग ऐसे बिहेव करने लगते हैं जैसे उन्होंने किसी के चहरे पर पिम्पल पहली बार देखे हों। वो बस, मेट्रो, ट्रेन, सड़क कहीं पर भी, आपकी तरफ़ ऐसे घूरते जाते हैं जैसे उन्होंने कोई एलियन देख लिया हो। जैसे ही आप उनकी तरफ़ देखेंगे वो अपना मुंह छिपाने लगते हैं जैसे उन्होंने आपको कभी देखा ही नहीं।
ये निहायती अॉकवर्ड मोमेंट होता है कसम से।
2. दूसरी दिक्कत जिसका हमें सामना करना पड़ता है वो है बेतुके सवाल। "ये तुम्हारे चहरे पर इतने दाने कैसे हो गए?" अरे भईया अगर हमें इसका जवाब पता होता तो क्या 1000-1000 रूपए लेकर हम डॉक्टर तलवार की क्लिनिक के चक्कर लगा रहे होते?
और अगर उन्हें गलती से ये कह दो कि वो असल में ये हमारे यहां हेरीडीटी है तो वो तुम्हारा मुंह ऐसे देखने लगते हैं जैसे तुमने उनकी बात का जवाब ताहीती भाषा में दिया हो।
3. इसके बाद शुरू होता है नुस्ख़े सुनने का सिलसिला और ये अंतहीन ज्ञान आपको घंटों तक बिना रुके सुनना पड़ सकता है। बस में बैठी अनजान आंटी से लेकर आपकी क्लास का सबसे शांत और काइयां लड़का तक जब आपको 'मुंहासे कम करने के सरल उपाय' बताने लगे, तो जैसे दिल पर खंजर चलने लगता है।
4. लोग इतने पर भी नहीं रुकते। असल में लोगों से आपके चहरे की ख़ुशी देखी ही नहीं जाती। जहां उन्हें ऐसा लगता है कि आपको इस बात से फ़र्क पड़ता बंद हो गया है कि आप कैसे दिखते हैं, तो वो तुरंत ही आपको याद दिलाने आ जाते हैं।
"बेचारी सोना, बचपन में कितनी क्लियर स्किन थी, अब देखो दानों की वजह से पूरा चहरा खराब हो गया" " जब मैं छोटी थी न तो मेरे भी चहरे पर बहुत पिम्पल थे, तुम तो यहां फंक्शन में चली भी आई हो, मैं तो शर्म के मारे घर से बाहर ही नहीं निकलती थी"
सोचिए, आप इस बात को मान चुके हैं कि ये मुहांसे आपके शरीर के ब्लडी हॉरमोंस की दें है और जब ठीक होने होंगे, हो जाएंगे तभी आपकी कोई घटिया सी फ़ीमेल रिश्तेदार आकर आपको ये एहसास दिला जाती हैं कि " बेटा ऐसा मुंह लेकर तुम हमारे घर में कैसे आ गईं?"
5. लोग इतने पर भी रुक जाएं तो बढ़िया बात हो। वो आपके सामने उसी बात को लेकर रोएंगे जिस समस्या से आप जूझ रहे हैं। ये लोग एक पिम्पल को लेकर ऐसे रोते हैं जैसे ये मिस/मिस्टर इंडिया का ख़िताब एक मुंहासे की वजह से जीतते-जीतते रह गए हों।
" यार देखो न मेरे चहरे पर कैसे ये पिम्पल हो गया है, ये कैसे जाएगा? बिल्कुल ही बेकार हो गया है अब तो मेरा चहरा।"
उस वक़्त अंतर्मन से ये आवाज़ निकलती है कि कि सामने वाले के मुंह पर एक ज़ोर का तमाचा जड़ दो, लेकिन हम बस यही कह पाते हैं कि पानी खराब होगा, या पेट खराब होगा, कोई बात नहीं ठीक हो जाएगा।
इन बातों को हर उस इरिटेटिंग व्यक्ति तक पहुंचाने की ज़रुरत है जो आपको जानबूझकर ये एहसास दिलाता है कि आप किसी कभी न थक हो सकने वाली बीमारी से जूझ रहे हैं। एक बीमारी, जिसका इस दुनिया में कोई इलाज नहीं है। अब इनको कौन बताए कि ये छोटी-छोटी बातें हम लोगों के लिए कोई मायने नहीं रखतीं।
इसका एक उपाय भी है। जैसे को तैसा। अब अगली बार जैसे ही कोई भी व्यक्ति आपसे ऊपर लिखी हुई बातों में से कोई बात कहे, उसको तुरंत ये एहसास दिला दीजिएगा कि बेचारी आंटी कुछ समय पहले तक तो आप बिल्कुल ठीक थीं... देखो न अब कैसे बेचारी का दिमाग ख़राब हो गया है।