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भारत में जब भी अंडर वर्ल्ड डॉन की बात की जाती है तो सबसे पहले नाम आता है दाऊद इब्राहिम का। एक ऐसा अपराधी जिसे भारत ने बहुत बार पकड़ने की कोशिश की लेकिन कभी सफल नहीं हो सका। दाऊद के और भी कई दुश्मन थे जिसमें एक महिला भी थी जिसका नाम था अशरफ खान उर्फ सपना दीदी। इस महिला का सिर्फ एक ही मकसद था, दाऊद की हत्या। अशरफ ने अपने आखिरी समय तक अपने जीवन का केवल एक मकसद रखा। सोचिए वो महिला कितनी हिम्मती रही होगी जिसने एक ताकतवर माफिया से लोहा लेने की ठान ली थी। अब इसपर तो फिल्म बननी ही थी क्योंकि बॉलीवुड ऐसी कहानियों को कभी नहीं छोड़ता। इसपर जल्द ही एक फिल्म बनने वाली है जिसमें अशरफ खान का किरदार निभाएंगी दीपिका पादुकोण।
इसमें इरफान खान भी एक मुख्य भूमिका में नजर आएंगे और ये फिल्म इस साल के अंत तक फ्लोर पर आ जाएगी। ये विशाल भारद्वाज की फिल्म है और इसे डायरेक्ट करेंगे हनी त्रेहान। विशाल का कहना है कि दीपिका काफी समय से मुझसे एक स्क्रिप्ट लिखने के लिए कह रही थीं और जब उन्होंने ये कहानी सुनी तो काम करने के लिए तुरंत तैयार हो गईं। लेकिन ये सपना दीदी असल में थी कौन और इसकी कहानी क्या है। आज हम आपको बताते हैं अशरफ खान के बारे में।
उस्मान ने अशरफ को ऐसी ट्रेनिंग दी कि दो महीने में ही वो बंदूक चलाना सीख गई, उसे अपना बचाव करना आ गया और वो पूरे मुंबई में बाइक पर घूमने लगी। अशरफ आत्मविश्वास से भर चुकी थी। इसके अलावा उसके रहन-सहन में भी काफी बदलाव आ गया था। वो सलवार कमीज की जगह जींस और शर्ट पहनने लगी थी। उसकी बातों में भी अब एक तेजी आ गई थी, उसके सोचने-समझने का ढंग पूरी तरह से बदल चुका था। समय के साथ अशरफ के मन में पति की हत्या की दुख की जगह बदले की भावना ने ले ली थी।
अशरफ के सपना बनने की कहानी भी दिलचस्प है। दाऊद के दुश्मनों में एक बड़ा नाम अरुण गवली का भी था। अशरफ गवली के पास भी मदद मांगने गई थी। वहां जाकर उसे महसूस हुआ कि हिंदू गैंगस्टर मुसलामानों पर ज्यादा विश्वास नहीं करते। इस बारे में हुसैन से बात करते समय उसने तय किया कि वो अपना नाम बदलेगी। जब हुसैन ने जानना चाह कि वो अपना नाम क्या रखना चाहती है तो उसने कहा कि उसने कुछ सोचा नहीं है। फिर कुछ देर बाद उसने कहा कि मैं हर समय बस दाउद की मौत के बारे में सोचती रहती हूं। ये मेरा सपना है इसलिए आज से मेरा नाम हुआ सपना। और इसी दिन से अशरफ खान सपना दीदी के नाम से मशहूर हो गई।
इतना सब करने के बाद भी अशरफ अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सकी। उसने शारजाह जाकर उसे दाऊद को मारने का पूरा प्लान बना लिया था लेकिन दाऊद को इसकी भनक पहले ही लग गई थी। दाऊद ने उसके पति महमूद की तरह अशरफ को भी मरवा दिया। हुसैन उस्तरा का कहना है कि अशरफ ने बहुत जल्दी सब कुछ सीख लिया था। दाउद के कई अड्डे बंद करवाकर तीन हफ्ते में ही उसने वो सब कर दिखाया था जो मैं पूरी जिंदगी में नहीं कर पाया।