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जिनके पास रहने के लिए एक आशियाना है, उन्हें ठंड का पता तभी चलता जब वो घर से बाहर निकलते हैं। लेकिन जिनके पास कोई आशियाना नहीं, वो कहीं प्लेटफॉर्म, हाइवे या पुल जैसी जगहों पर कड़ाके की ठंड में भी पड़े रहते हैं। भारत में ऐसे लोग हर कदम पर दिख जाते हैं। चाहे गांव हो या शहर। इनके लिए गर्मी, सर्दी, बसंत, बहार सब एक जैसे हैं।
बात हो रही थी ठंड में बेघर लोगों की, तो इन दो महिलाओं ने ऐसे बेघरों को सहारा देने का जिम्मा उठा लिया है। उनके लिए कोई आलिशान बंगला नहीं बल्कि बेकार पड़ी बसों को ही बंगले का रूप देकर ये महिलाएं गरीबों को आशियाना दे रही हैं। कड़कती सर्दी से निपटने के लिए एक डबल डेकर बस को रहने लायक घर में बदलकर इन औरतों ने कई बेघरों के चेहरे पर एक मुस्कान बिखेरी है।
ये दोनों महिलाएं 'द कर सैक' प्रोजेक्ट नाम की एक चैरिटी संस्था की मालिक हैं। इनका काम गरीबों की मदद करना है। ये यूके की रहने वाली हैं। इन्होंने डबल डेकर बस को एक खूबसूरत घर का आकार दिया है। बस के अंदर वो सारी चीजें हैं जो एक घर में होती हैं। इस बस के अंदर की तस्वीर देखकर एक पल को आप भी धोखा खा जाएंगे कि ये घर है या बस।
इस डबल डेकर स्टेजकोच बस को कबाड़ बनने से पहले ही सैमी और जोएन नाम की इन महिलाओं ने अपना लिया। हालांकि इस बस को घर बनाने में इन्होंने कई वॉलंटियर्स की मदद भी ली। लावारिस पड़ी इस बस को जहां कोई पूछता नहीं था, वो आज कई बेघरों के लिए मकान बन गया।
हालांकि इस बस की काया पलट करने में आठ महीने लगे और इसमें लगभग 8 हजार डॉलर्स का खर्चा आया। 80 कारीगरों ने इस बस को 12 बेड के घर में बदल दिया। जिसमें एक फुल फंक्शन किचन भी शामिल है।
ये स्टेजकोच बस, यूके के सैंट अगाथा चर्च के सामने मौजूद पार्किंग में खड़ी रहा करेगी। अगर इस तरीके को भारत में भी अपनाया जाए तो कई लावारिस पड़ी बसों को एक नई जिंदगी मिलेगी और बेघरों को घर।
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