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बांग्लादेश की इकलौती रिक्शेवाली, जो समाज के हर तबके को आईना दिखा रही हैं

Shweta pandey@firkee Updated Fri, 03 Mar 2017 10:27 AM IST
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बांग्लादेश के इतिहास और भूगोल के बारे में तो हम ज्यादा नहीं कह सकते हैं लेकिन इतना ज़रूर कहेंगे कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय लगभग खत्म होने को है। यहां का इतिहास जरा ख़ौफनाक रहा है जिसका असर अब भी दिखता है। अब बात मुस्लिम बहुसंख्यक देश की है और उसमें भी बात है उस औरत की जिसने जिंदगी में 'हार' शब्द को जाना ही नहीं। जिसने हमेशा ये कहा कि जिस काम में इंसान को रुचि होती है उस काम से इंसान थक कैसे सकता है? 

इरादे बुलंद हैं और देह फौलादी। इस औरत का नाम है मोसम्मत। मुस्लिम बहुसंख्या वाले इस देश को एशिया के सबसे पिछड़े समाजों में गिना जाता है, लेकिन मोसम्मत इस समाज की दकियानूसी सोच की परवाह नहीं करती हैं। 

मोसमम्त को रिक्शा चलाते हुए 5 साल हो गए इनके 3 बच्चे हैं। जिनकी पूरी जिम्मेदारी मोसम्मत पर ही है। अपने बच्चों को पालना पोषना और साथ ही पढ़ाई लिखाई सब अकेले संभाल रही हैं मोसम्मत। लेकिन एक सवाल तो हर किसी के मन में आएगा कि आखिर सारा भार ये अकेले क्यों संभालती है!! तो इसके पीछे भी वजह है..

मोसम्मत का 45 वर्ष का पति किसी दूसरी औरत को लेकर भाग गया था। इसके बाद से उन पर बच्चों को पालने की पूरी ज़िम्मेदारी आ गयी। उन्होंने इससे पहले और भी कुछ कामों में हाथ आज़माया था। वो घरेलू नौकरानी के तौर पर काम कर रही थीं, पर उससे मिलने वाले पैसे उनके लिए काफ़ी नहीं थे और उन्हें बच्चों की देख-भाल करने का समय नहीं मिल पता था। उन्होंने एक फैक्ट्री में भी काम किया, पर वहां मेहनत बहुत ज़्यादा और पैसे बहुत कम दिए जाते थे।

इसके बाद उन्होंने अपने पड़ोसी का रिक्शा किराए पर लिया और उसे चलाना शुरू किया। शुरू-शुरू में उन्हें काफी आलोचना का सामना करना पड़ा था, पर धीरे-धीरे हालात सामान्य होते चले गए। शुरू में जब लोग एक औरत को रिक्शा चलाते देखते थे, तो उन्हें बड़ा अटपटा लगता था। लोग उनके रिक्शे पर बैठने से हिचकिचाते थे। कोई उनसे कहता कि ये मर्दों का काम है, तो कोई उन्हें इस्लाम का हवाला देकर कहता कि उनका धर्म औरतों को इस तरह सड़कों पर घूमने की इजाज़त नहीं देता।

जैसा कि हमेशा से काम को भी जेंडर के आधार पर बांटा गया है कि ये काम केवल पुरूषों के लिए है औरतों के लिए नहीं। इसके बावजूद, उन्होंने हार नहीं मानी। आज वो दिन में 8 घंटे काम कर के हर दिन का 600 टका (500 रुपये) कमा लेती हैं। 

हमारी तरफ से मोसम्मत को 100 सलामी। 


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