अब से पहले हम ये कहते आ रहे थे, "लड़कियां ये नहीं कर सकतीं, वो नहीं कर सकतीं, ऐसा नहीं कर सकतीं, वैसा नहीं कर सकतीं, ये सब बकवास बातें हैं। लड़कियां जो चाहें कर सकती हैं।"
लेकिन अब ये टाइम भी निकल गया। अब वो वक़्त आ गया है कि हमें कहना पड़ेगा। लड़कियां ये कर सकती हैं, क्या तुम ये कर सकते हो। लकड़ियों ने ये कर दिखाया तुम्हारी सुरक्षा नाम की ढाल को ठेंगा दिखाते हुए। लड़कियों ने झंडा गाड़ दिया है। और तगड़ा वाला गाड़ा है। जिस फील्ड में देखना हो देख लें।
सीमा राव। आज़ादी के जंग के एक सिपाही की बेटी। हिन्दुस्तान की इकलौती महिला कमांडो ट्रेनर। और एक नहीं कई किताबों की लेखिका। प्रोफेसर रमाकांत सिनारी की बेटी। मेडिसिन में डिग्री लिया। फिर एमबीए भी किया। और अब देश को जवानों को कमांडो ट्रेनिंग देती हैं।अब इनकी कुछ कमाई भी जान लो। पैसे की नहीं। मेहनत से जो नाम कमाया है। सेवेंथ डिग्री ब्लैक बेल्ट वो भी मिलिट्री मार्शल आर्ट में। और सुनो। आर्मी माउंटेनीयरिंग इंस्टिट्यूट से मेडल। प्रोफेशनल स्कूबा डाइवर रह चुकी हैं। स्कूबा डाइवर का मतलब समझते हो ना? गहरे समुंदर में जा के एकदम अंदर तक घुस के देखने का खेल है। एकदम अंदर मतलब एकदम अंदर। ये सब हो गई इनके दम-खम की बात।
अब जरा ये भी सुन लो। आधे दर्जन के लगभग किताबों की को-ऑथर हैं। को-ऑथर उसको बोलते हैं, जब दो लोग या उससे ज्यादा लोग मिल कर किताब लिखते हैं। ठीक है। अब पते की बात। जरा मुंह बंद कर के पढ़िएगा, हुज़ूर। कीड़े बहुत उड़ रहे हैं। पेट में चला जाएगा। डॉ.सीमा मिस इंडिया वर्ल्ड पीजेंट में भी फाइनलिस्ट रह चुकी हैं। मुंह बंद कर लीजिए पहले। फिर आगे पढ़िएगा।
इनके पति हैं, मेजर दीपक राव। दोनों मिल के इंडिया के जितने भी खासम-ख़ास कमांडो हैं। उनको पिछले 18 सालों से लगतार ट्रेनिंग दे रही हैं। वो भी बिना किसी पैसे के। मतलब इसके बदले इनको कुछ मिलता नहीं है। सिर्फ शौक देश सेवा का। दोनों ने मिलकर अनआर्म्ड एंड कमांडो ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट भी शुरू किया है।
डॉ.सीमा ने क्लोज क्वार्टर कॉम्बैट शूटिंग और अनआर्म्ड अटैक को अपने तरीके से इसे थोड़ा और मॉडर्न बनाया है। जिस वजह से ये नई टेकनीक इनके नाम से ही रजिस्टर्ड है। मतलब इनके नाम का पेटेंट है, उस स्टाइल के फॉर्मेट का। और अब ये स्टाइल इंडियन आर्मी में भी अडॉप्ट कर लिया गया है।
जिन स्पेशल फोर्स के जवानों को इन्होंने ट्रेनिंग दी है उनमें पारा स्पेशल फोर्स, कमांडो विंग, कोर्प्स बैटल स्कूल, एकेडमीज़ एंड रेजिमेंट सेंटर, नेवी मार्कोश मरीन कमांडो, एनएसजी, ब्लैक कैट, पैरामिलिट्री फोर्स, एयरफोर्स गरुड़ कमांडो। और कोई बच गए हों तो उनको भी याद कर लें।
एक और ख़ास बात। तब से तो सिर्फ ख़ास ही बात आ रही है। ये दुनिया के उन कुछ गिने-चुने लोगों में से हैं, जो 'जीत कुने दो' की ट्रेनिंग देने के लिए मान्य हैं। ये मार्शल आर्ट की एक स्पेशल टेकनिक है। चीन वाले चचा ब्रूस ली ने डेवलप किया था।
दुनियाभर के लोगों ने मान लिया है। डॉ.सीमा कोई चीज़ हैं। अवॉर्ड गिन लो, नीचे फोटो में। मलेशिया से लेकर अमेरिका तक हर जगह से अवॉर्ड इनके दरवाजे मत्थे टेक चुका है। जरा आप भी अपनी अकड़ जेब में रख के सलामी ठोंक दीजिए।
और एक बात। उन लफंगों के लिए। जो सड़क चलते किसी भी लड़की को छेड़ देते हैं। सिटी बजा देते हैं। भैया जी किसी दिन इनके सामने मत पड़ जाना। दुर्गा पूजा की कसम अगर छेड़ने की सोच भी लिए न, मार-मार के मुंह का चबूतरा बदल देंगी। स्टाम्प पेपर ले के आओ। लिख के साईन करके दे दूंगा।
और रही बात सुधीजन संस्कारी लोगों की तो बस आपकी और हमारी बिसात ही क्या है। जो इनकी तारीफ करें। थोड़ी तारीफ कर लेंगे तो हमारा ही कद थोड़ा उंचा हो जाएगा। वैसे अपनी दिखावे की तारीफ जेब में ही रखें।अर अगर सही में लगता है दम है! तो दिखाओ अपने मोहल्ले वालों को। जो लड़की घर से बाहर निकली नहीं कि कह देते हैं। ये तो हाथ से निकल गई। और हाथ से भी निकल गई तो क्या गलत की? बहुत अच्छा काम की। नहीं तो तुम्हारे हमारे जैसे लोग। सो कॉल्ड पुरुष, इनको हिलने ना दें।