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क्या महिलाएं अपने कार्यस्थल पर सुरक्षित हैं?

Apoorva Pandey/ firkee.in Updated Wed, 15 Mar 2017 03:07 PM IST
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s - फोटो : google
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आजकल इंटरनेट पर हर तरह के मुद्दे को बहुत मजबूती के साथ उठाया जाता है। फिर चाहे कोई व्यक्ति मुद्दे के पक्ष में हो या विपक्ष में। अब लोग सिर्फ़ बातें नहीं करते बल्कि अलग-अलग माध्यमों से लोगों तक सूचना पहुंचाने की कोशिश करते हैं। वीडियोज़ इसमें बहुत मददगार साबित होते हैं।

ज़रूरी नहीं है कि किसी गंभीर विषय को गंभीरता से ही प्रदर्शित किया जाए। उसपर व्यंग करके और गहरी चोट की जा सकती है। व्यंग का इस्तेमाल सिर्फ़ लिखने में ही नहीं बल्कि वीडियो में भी होता है और भारत के कुछ यूट्यूब चैनल इस काम के लिए मशहूर हैं। इसमें टीवीएफ़ और एआईबी का नाम सबसे ऊपर है। 
 

इस दोनों ही चैनल के लोग बहुत बड़े फैन हैं। अगर महिला संबंधी मुद्दों की बात करें तो ये दोनों ही चैनल बहुत बढ़-चढ़ कर इन मुद्दों को उठाते हैं। लेकिन पिछले दिनों टीवीएफ़ के सीईओ अरुनाभ कुमार पर जो आरोप लगे हैं उसके बाद लगने लगा है कि गड़बड़ हर जगह है। दोगुले लोग हर जगह हैं।

अभी इन आरोपों की विश्वसनीयता पर बात नहीं की जा सकती लेकिन इतनी ज़्यादा संख्या में महिलाओं द्वारा लगाए गए ये आरोप लोगों का ध्यान आकर्षित करने के लिए काफ़ी हैं। इस पूरे मामले से एक बड़ा सवाल खड़ा होता है। महिलाएं अपने कार्यस्थल पर भला कितनी सुरक्षित हैं? एक चैनल जहां खासतौर पर महिलाओं के लिए एक सेक्शन हो अगर वहां महिलाओं के साथ ऐसी घटनाएं होती हैं तो ये भयावह है।
 

इन आरोपों के लगने के काफ़ी दिनों बाद जब अरुनाभ आखिरकार बोले तो कुछ ऐसा बोल गए जो लोगों को पसंद नहीं आया। उन्होंने कहा कि उन्हें भी किसी आम व्यक्ति की तरह लड़कियां अच्छी लगती हैं। अगर उन्हें कोई महिला सेक्सी लगती है तो वो उसे सेक्सी कह देते हैं ऐसा करते समय वो किसी तरह का गलत काम नहीं करते। जब से उन्होंने ये बयान दिया है लोग उनपर और ज़्यादा नाराज़ हो गए हैं।

ये तो केवल एक उदाहरण भर है। कामकाजी महिलाओं को न जाने इस तरह की कितनी ही और बातें सुननी पड़ती हैं। वर्कप्लेस पर अक्सर ही कुछ लोग ऐसे मिल जाते हैं जो अपने पद का फ़ाएदा उठाते हुए महिलाओं का शोषण करने का प्रयास करते हैं। ऐसे मौके पर अगर महिला खुलकर उस व्यक्ति का विरोध करती है तो ठीक है लेकिन अगर वो ज़रा भी डरी तो सामने वाला गलत काम करते हुए भी सीना चौड़ा करके घूमता है।
 

निजी संस्थानों का हाल ज़्यादा बुरा है क्योंकि यहां मालिक ही तय करता है कि क्या सही है और क्या गलत। सरकारी संस्थानों में तो बकाएदा इन्क्वारी की जाती है लेकिन जब किसी कंपनी का मालिक ही गलत काम करता हो तो आप कोई उम्मीद नहीं कर सकते। ऐसे में किसी भी व्यक्ति के पास यही ऑप्शन होता है कि या तो वो सब कुछ सहे या नौकरी छोड़ दे।

अरुनाभ पर आरोप लगाने वाली लड़कियों ने भी यही किया। ये केवल एक जगह की बात नहीं है न जाने कितनी ही जगहों पर महिला कर्मचारियों के साथ भेदभाव और शोषण होता है। अगर कोई महिला घर की ज़िम्मेदारी उठा रही है और आर्थिक रूप से उसी नौकरी पर निर्भर है तो उसके लिए संस्थान के खिलाफ़ आवाज़ उठाना बहुत मुश्किल होता है।

कुछ कार्यक्षेत्र ऐसे होते हैं जहां लोग रिफरेन्स से आगे बढ़ते हैं। वहां इस तरह की घटनाएं ज़्यादा होती है क्योंकि लोगों को पता होता है कि हमारा भविष्य हमारे रिलीविंग लैटर पर निर्भर है तो मुंह बंद करके निकल जाने में ही भलाई है।
 

टीवीएफ़ की टीम के एक और सदस्य पर ये आरोप लगा है कि जब एक लड़की ने उनसे शिकायत की तो उन्होंने हंसते हुए कहा कि ये सब तो होता रहता है। अब इन बातों की जांच होनी बाकी है लेकिन सवाल ये उठता है कि इसकी जांच करेगा कौन? इस वाकये से टीवीएफ़ के फैन्स को बड़ा धक्का लगा है। क्या टीवीएफ़ अब जवाब देगा।

अलग-अलग मुद्दे पर लाइव होने वाली टीवीएफ़ की टीम को इस मुद्दे पर भी लाइव आकर बात करनी चाहिए और लोगों के सवालों का जवाब देना चाहिए और अगर उनमें ऐसा करने की हिम्मत नहीं है तो समझ लीजिए ज़रूर डाल में कुछ काला है। 

ये एक बहुत गंभीर मुद्दा है और इस तरफ़ ध्यान दिया जाना ज़रूरी है। बेहतर होगा कि महिलाएं इसी तरह से आगे आती रहें और अपना विरोध जताती रहें। कुछ लोगों का डरना बहुत ज़रूरी है। 

 

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