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जुलाई के पूरे महीने कश्मीर में जो हुआ वो हम सब ने देखा। एक आतंकी मारा जाता है। उसके जनाज़े पर हंगामे हुए, कश्मीर जला। कश्मीर पर पैलेट छोड़े गए। क्यों हुआ, क्या ज़रूरी था, इस पर हम नहीं जा रहे। बिलकुल भी नहीं! आप इस मामले में हमसे ज्यादा ज्ञानी हैं।
लेकिन इन सब के बीच जुलाई के आखिरी दिनों में एक तस्वीर ट्विटर और फेसबुक पर खूब चली। चली क्या उड़ रही थी। क्या था इस तस्वीर में! पहले आप तस्वीर देखिए। इसे पूर्व आईपीएस अफसर संजीव भट्ट ने ट्विटर पर डाला था..
https://twitter.com/sanjivbhatt/status/759762341680427008
इस तस्वीर के साथ संजीव भट्ट ने लिखा था, "जब इतना छोटा बच्चा अपने गुलेल से इस तरह पुलिसवालों पर निशाना लगा रहा हो, तो हमें ये मान लेना चाहिए कि हम कश्मीर को लेकर फेल हुए हैं।"
इसके बाद इस तस्वीर को लोगों ने खूब रिट्वीट किया। कुछ लोगों ने संजीव भट्ट को खूब सुनाया। और लगे हाथ इस तस्वीर के साथ की एक दूसरी तस्वीर लगाई। जो कुछ ऐसी थी..
https://twitter.com/StuteeMishra/status/759806180482875392
इस ट्विटर यूज़र ने संजीव भट्ट के जवाब में लिखा था कि तस्वीर का एक दूसरा एंगल भी देखिए। और उन जवानों की मुस्कुराती शक्ल देखिए।
पता नहीं आपने ध्यान दिया था या नहीं। इस तस्वीर को देखने के बाद आप शायद समझ गए होंगे। आखिर पूरा मारा क्या है।
ऐसा बिलकुल भी नहीं है कि कश्मीर में कोई प्रॉब्लम नहीं है। प्रॉब्लम है। लोगों की शिकायतें हैं। लेकिन क्या इस तरह हर किसी तस्वीर को लोग विरोध से जोड़ दें। सोचने का एक और तरीका भी हो सकता है कि इस बच्चे के दिमाग में क्या अभी से आर्मी विरोधी बातें डाल दी गई हैं?
लेकिन ये सब कहने या सोचने से पहले आप एक और तस्वीर देख लें, तो शायद बेहतर हो..
https://twitter.com/StuteeMishra/status/759833206258413568
इतना कुछ देखने के बाद भी अगर लोग कहते हैं कि नहीं सुरक्षाबल के जवान वहां सिर्फ़ अत्याचार ही कर रही है। तो यह हमारे लिए नाकाबिल-ए-बरदाश्त है।
अगर विरोधियों या ऐसे लोगों की ही नज़र से देखें तो क्या कहें! आप किसे दोष देंगे, उस आर्मी के जवान को जो उस मासूम के हाथों निशाना बनने पर भी मुस्कुरा रहा है या फिर कश्मीरियों को?
कुछ लोग कश्मीर के मामले को लेकर और इस तस्वीर के साथ भी सब कुछ दूध का दूध और पानी का पानी की तरह बात कर रहे हैं। वो कहीं से भी जायज़ नहीं ठहराया जा सकता। ये मसला उतना हल्का नहीं है, जितना आप समझ रहे हैं।
वैसे इस तस्वीर को लेकर हमें एक कैप्शन जो सबसे ज्यादा सही लगी। वो है जनसत्ता के पूर्व संपादक ओम थानवी जी के फेसबुक वॉल से..