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एक परिवार में इंजीनियर, डॉक्टर, पॉलिटिशियन या एक्टर तो देखे जाते हैं लेकिन परिवार के सभी के सभी लोग का प्रोफेशन केवल प्लेन उड़ाना हो को अजीब लगता है। इस परिवार को पायलेट वाली क्वालिटी पुश्तैनी है। दादा जी से लगाकर पोते पोतियां, और उनके बच्चे सभी लोग आसमान की सैर करते हैं और यात्रियों को कराते हैं। सीधे कहें तो पायलट की जर्सी इस परिवार की पहचान बन चुकी है। इनका मानना है कि 'प्लेन उड़ाना' इनके खून में है।
भासीन नाम का यह परिवार पिछले 3 दशक से इसी प्रोफेशन में है। सबसे पहले इस परिवार ने पायलट बनने का सफर 1954 में शुरू किया। सबसे पहले कैप्टन जयदेव ने इंडियन एयरलाइंस में जाने का फैसला लिये। उसके बाद ये पद उनके बेटे रोहित को मिला। रोहित की शादी निवेदिता जैन से हुई जो खुद भी एक पायलट थीं।
26 साल की उम्र में निवेदिता दुनिया की सबसे कम उम्र की जेट उड़ाने वाली महिला कैप्टन बन चुकी थीं। तीन दशकों से भी ज्यादा फ्लाइंग का अनुभव रखने वाली निवेदिता के मुताबिक, 'शायद छह या सात साल की उम्र से ही उन्हें फ्लाइंग आकर्षित करती थी।
निवेदिता जब इंडियन एयरलाइंस की पायलट बनीं तब वह सिर्फ 20 साल की थीं। 33 की उम्र में वह दुनिया के सबसे बड़े हवाई जहाज 'एयरबस - 300' की कमांडर बन गईं। आज उनका बेटा रोहन 'कमांडर बोइंग 777' चलाता है और एयर इंडिया में उसे 10 साल हो चुके हैं। वहीं उनकी 26 साल की बेटी निहारिका इंडिगो में पायलट हैं।
इस परिवार ने अपने आप में एक अलग ही रिकॉर्ड कायम किया है। इस परिवार का मानना है कि विरासत में मिली इस धरोहर को आगे तक ले जाना है।