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'मांझी द माउंटेन मैन' फिल्म लगभग हर किसी ने देखी होगी। ये फिल्म एक सच्ची कहानी पर आधारित थी। बिहार के रहने वाले दशरथ मांझी ने एक असंभव काम को अकेले संभव करके दिखाया था। पहाड़ काटकर रास्ता निकालने वाले मांझी की कहानी की तरह ही एक और शख्स ने अपने जुझारुपन की मिसाल पेश की है। ये शख्स रहने वाला छत्तीसगढ़ का है, नाम है श्यामलाल।
श्यामलाल ने अपने दम पर एक तलाब खोद डाला।
श्यामलाल छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले के रहने वाले हैं। गांव में पानी की समस्या से जूझ रहे लोगों की प्यास बुझाने के लिए श्यामलाल ने 15 फीट गहरा तलाब खोद डाला। न तो ग्रामीणों के खुद के उपयोग के लिए पानी था और न ही मवेशियों के लिए तलाब की व्यवस्था थी। परेशानियां लगातार बढ़ रही थी, लेकिन ग्रामीणों के पास इस समस्या से निजात पाने का कोई रास्ता नहीं था।
अंत में श्यामलाल ने खुद ही तालाब खोदने का फैसला कर लिया। करीब 27 साल की कड़ी मेहनत के बाद श्यामलाल ने तालाब की खुदाई पूरी कर ली। इस काम में न तो ग्रामीणों ने उसकी मदद की और न ही प्रशासन ने। अब श्यामलाल 42 साल के हैं। यह तालाब करीब 1 एकड़ के क्षेत्र में फैला हुआ और 15 फीट गहरा है।
गांव वाले पहले श्यामलाल के इस कारनामे को देखकर मजाक बनाते थे लेकिन ये काम सफल होने के बाद गांव वाले उनके के मुरीद हो गए। वे अब उसे रोल मॉडल मानते हैं। गांव वाले कहते हैं कि श्यामलाल की कठिन मेहनत के बाद आज गांव में तालाब है और मवेशियों के पीने के लिए पानी उपलब्ध हो सका है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार कोरिया जिले के कलेक्टर 'नरेंद्र दुग्गल' ने श्यामलाल को हर प्रकार की सहायता उपलब्ध कराने का विश्वास दिलाया है। वहीं, स्थानीय विधायक श्याम बिहारी जयसवाल ने श्याम लाल की इस कड़ी मेहनत के लिए उसे दस हजार रुपए का इनाम दिया।