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कहते हैं कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। कोई कुछ भी कहे लेकिन किस्मत और मेहनत रंग ले ही आती है। भारत को इस बार कॉमनवेल्थ में पहला मेडल दिलाने वाले पी गुरुराजा की कहानी। गुरुराजा की मेहनत भी रंग लाई। लेकिन जितनी रंगीन उनकी सफलता है उतनी ही रंगीन उनके संघर्ष की कहानी है।
सबसे पहले तो ये बता दें कि गुरुराजा शुरू से वेटलिफ्टर नहीं थे। वो पहले पहलवान थे। लेकिन साल 2010 में उनका इरादा बदल गया और वेटलिफ्टिंग की सोची। और इस तरह भारत को मेडल दिलाने वाला वेटलिफ्टर मिला।
गुरुराजा बहुत ही गरीब परिवार से आते हैं। इनके परिवार में 8 भाई-बहन हैं। पिता जी ट्रक चलाते हैं। लेकिन एक हादसे ने पिता की नौकरी छीन ली। इसके बाद गुरुराजा पर परिवार के पालन का दबाव आया। गुरुराजा ने बहुत मेहनत की और एयरक्राफ्टमैन की नौकरी पा गए। इस तरह गुरुराजा का संघर्ष शुरू हुआ।