Home Fun Delhi Piracy Gang Used To Extort Money From Film Producers By Blackmailing Them

मार्केट में चल रहा है 'फिल्मों की किडनैपिंग' का अनोखा खेल!

Apoorva Pandey/ firkee.in Updated Thu, 18 May 2017 12:30 PM IST
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cyber crime - फोटो : protection of children on internet
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आपको वो विज्ञापन याद आता होगा जिसका जिंगल था 'न सिर झुका है कभी, और न झुकाएंगे कभी'... कुछ सालों पहले तक यही लोगों के जीवन का लक्ष्य हुआ करता था कि कभी ऐसा की काम नहीं करना है कि सिर झुकाना पड़े लेकिन अब समय बदल गया है और सिर झुकाना लोगों की मजबूरी बन गया है। वजह है लोगों के स्मार्ट फोन! आप चाहे बस, ट्रेन या ऑटो में सफर कर रहे हों, आधे से ज्यादा लोग आपको अपने फोन में देखते हुए नजर आ रहे हैं। ये सभी नीचे देख रहे होते हैं। आपने अगर कभी ध्यान दिया हो तो सभी लोगों के मोबाइल में नई-नई रिलीज हुई फिल्में होती हैं। 

उस समय लगता है कि किसी अजनबी से भी शेयर इट की मदद से फिल्में मांग ही लें। हर ऑफिस या क्लास रूम में एक ऐसा व्यक्ति जरूर होता है जो नई-नई फ़िल्में लाने के लिए मशहूर होता है। हर बार मल्टीप्लेक्स में जाकर महंगे टिकट पर फिल्म देखना सबके बस की बात नहीं होती और यही वजह है कि पायरेसी करने वाले गैंग दिन पर दिन फल-फूल रहे हैं। अब तो मार्केट में पइरेसी को बढ़ावा देने का एक नया तरीका भी आ गया है। हाल ही में पुलिस ने एक ऐसे गैंग को पकड़ा है जो न सिर्फ नए तरीके से पाइरेसी करता था बल्कि डिस्ट्रीब्यूटर्स को ब्लैक मेल भी करता था।
 

इस गैंग को हैदराबाद पुलिस ने गिरफ्तार किया है और यह दिल्ली में काम करता था। इस गैंग ने हाल ही में बाहुबली फिल्म की पाइरेसी की थी और इससे पहले भी ये लोग कई फिल्मों की पाइरेसी कर चुके हैं। बात पाइरेसी तक ही खत्म नहीं हो जाती, इसके बाद यह गैंग फिल्म बनाने वालों से बात करके उन्हें ब्लैकमेल करते थे। इन लोगों ने बाहुबली के मेकर्स से भी पैसों की मांग की थी। ये गैंग पूरे भारत में फैले हुए हैं। 

कुछ समय पहले पाइरेसी से निपटने के लिए एक सैटेलाईट तकनीक की शुरुआत की गई थी जिसके बाद से पाइरेसी की घटनाओं में कमी आई थी लेकिन अब अपराधियों ने फिल्म पाइरेसी के नए तरीके निकालने शुरू कर दिए हैं। बाहुबली के पहले हिस्से की पाइरेसी के लिए एक गैंग ने खासतौर पर एक पाइरेसी एक्सपर्ट को श्रीलंका से कोलकाता बुलाया था। उन्होंने थिएटर की सबसे पीछे वाली रो की सारी सीटें बुक करवा ली थीं। पाइरेसी करने वाला एक्सपर्ट बीच वाली सीट पर बैठकर फिल्म रिकॉर्ड करता था। 

इस गैंग का सरगना एक सॉफ्टवेर प्रोफेशनल था जिसे सालाना 25-30 लाख रुपये की सैलरी मिलती थी। पुलिस को पता चला कि यह व्यक्ति फिल्मों की कॉपी को अपनी कंपनी के सर्वर पर स्टोर करता था। पैसे कमाने के लिए इस गैंग ने एक नया तरीका निकाला था। गैंग के सदस्य फिल्मों की कॉपी लेकर देश के अलग-अलग हिस्सों में जाते थे और आमतौर पर ये गांव हुआ करते थे। वहां पर लोकल थिएटर वाले इन फिल्मों को चलाया करते थे और पैसे आपस में बांट लिए जाते थे। इस बात की देख रेख करने वाला कोई नहीं था। अगर कोई इस खबर को फैलाने की कोशिश करता था तो ये गैंग वाले तुरंत ही उस जगह से भाग लेते थे और दूसरी जगह जाकर दोबारा फिल्म दिखाते थे। 
 

बाहुबली के दूसरे हिस्से की पाइरेसी करने के बाद इन लोगों ने इसके हिंदी वर्जन के डिस्ट्रीब्यूटर करन जौहर से बात करके पैसों की मांग की, उन्होंने कहा कि अगर उन्होंने मुंह मांगी रकम अदा नहीं की तो वो इस फिल्म को तुरंत ही मार्केट में रिलीज कर देंगे। जब करन जौहर ने कहा कि वो अकेले डिस्ट्रीब्यूटर हैं तो फिर गैंग ने हैदराबाद में फिल्म के प्रोड्यूसर्स से पैसे मांगे। वो फिल्म प्रोड्यूसर तक ये बात पहुंचाना चाहते थे कि अगर उनको समय-समय पर पैसे नहीं दिए गए तो कोई भी फिल्म पाइरेसी से बच नहीं पाएगी।

ये चोरी और सीना जोरी वाली बात हो गई। लोग पहले इंसानों की किडनैपिंग करके पैसे उगाहते थे अब उन्होंने इसका नया तरीका अपना लिया है। जाहिर है कोई भी फिल्म प्रोड्यूसर यह नहीं चाहेगा कि उसको किसी तरह का नुकसान हो ऐसे में इस तरह के गैंग आसानी से फलते-फूलते हैं। लोग भी फिल्मों के ऑनलाइन आने का इंतज़ार करते हैं। लोगों को फ्री में ये फिल्में देखने को मिल जाती हैं, ऐसे में वो यह नहीं समझते कि वो भी एक अपराध का हिस्सा बन रहे हैं। लेकिन इस बात में भी कोई दोराय नहीं है कि हर व्यक्ति मल्टीप्लेक्स की आसमान छूती कीमतों पर फिल्में नहीं देख सकता। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि प्रशासन पाईरेसी को रोकने का क्या तरीका निकालती है। 

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