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भारत में कई बातों को लेकर लोगों के मन में पागलपन होता है। ऐसा ही पागलपन गोरे रंग को लेकर भी है। लोग गोरा होने के लिए कुछ भी करने को तैयार रहते हैं। महंगी से महंगी क्रीम खरीदने से भी नहीं बचते हैं। लोग ये भी नहीं सोचते कि जो अप्राकृतिक गोरापन वो हासिल करना चाहते हैं उसके लिए उन्हें क्या कीमत चुकानी पड़ सकती है। जाहिर सी बात है अगर आपको केमिकल की मदद से गोरा बनाया जाएगा तो उसका आप पर कोई अच्छा असर तो पड़ेगा नहीं लेकिन बचपन से ही लोग गोरेपन को लेकर इस तरह की बातें सुनते हैं कि वो ऐसे ब्यूटी प्रोडक्ट्स इस्तेमाल करने से खुद को रोक नहीं पाते।
इस पागलपन का सबसे बड़ा उदाहरण हैं माइकल जैक्सन जिन्होंने ऑपरेशन की मदद से अपनी रेस तक बदलने की कोशिश की। इसकी वजह से उन्हें इतनी दवाइयां खानी पड़ीं कि वो बेहद बीमार पड़ गए और धीरे-धीरे कमजोर होते गए और नतीजा हम सबके सामने है। हाल ही में अभय देओल ने ट्विटर पर उन सभी लोगों पर निशाना साधा जो फेयरनेस क्रीम का विज्ञापन करते हैं। इसके बाद से ही इस पर चर्चाएं बढ़ गईं। लेकिन क्या आपने कभी इस बारे में सोचा कि आखिर इन क्रीमों में ऐसा क्या होता है जो ये लोगों का रंग बदल सकती हैं।
इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक़ एक बेहद मशहूर फेयरनेस क्रीम 'फेयर एंड लवली' का एक सैंपल एक टेस्ट में फेल हो गया है।
फेयर एंड लवली, हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड का एक बहुत पुराना और बेहद पॉपुलर प्रोडक्ट है। इस टेस्ट में ये चेक किया जाता है कि किसी भी प्रोडक्ट में 'micro organisams' तय की गई लिमिट में हैं कि नहीं! ब्यूरो ऑफ़ इंडियन स्टैण्डर्ड के मुताबिक़ 'टोटल माइक्रोबायल काउंट' और 'ईस्ट एंड मोल्ड काउंट' किसी भी क्रीम में 1000 कॉलोनी फॉर्मिंग यूनिट प्रति ग्राम और 100 सीएफयू प्रति ग्राम से अधिक नहीं होना चाहिए। लेकिन फेयर एंड लवली का ये सैंपल 3,37,532.10 सीएफयू प्रति ग्राम और 2,94,196.3 सीएफयू प्रति ग्राम था। ये तय की गई लिमिट्स से बहुत ज्यादा है।
महारष्ट्र के एफडीए कमिश्नर हर्षदीप काम्बले ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया कि अब हमें लैब से ये रिपोर्ट मिल गई है। इसे संबंधित इंस्पेक्टर के पास भेज दिया गया है। कंपनी के पास अपना भी एक कंट्रोल्ड सैंपल होता है और इन दोनों का मिलान होना अभी बाकी है। तभी ये पता चल पाएगा कि जो सैंपल हमारे पास आया है वो असली है या नकली।
लेकिन हिंदुस्तान यूनिलीवर लिमिटेड के प्रवक्ता ने कहा है कि एफडीए ने हमसे ऐसे किसी भी सैंपल की मांग नहीं की है और हमें इस तरह के किसी टेस्ट की भी कोई जानकारी नहीं है। हम इस बात का ध्यान रखते हैं कि हमारा हर प्रोडक्ट क्वालिटी स्टैण्डर्ड पर खरा उतरता हो। फेयर एंड लवली हर साल करीब 2000 करोड़ का बिजनेस करती है। सैंपल मुंबई के भोइवाड़ा लेन से लिया गया था।
कांबले का कहना है कि यह भी हो सकता है कि सैंपल नकली हो, ऐसे में उस आदमी के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। और अगर सैंपल असली हुआ तो कंपनी के खिलाफ एक्शन लिया जाएगा। अब देखना होगा कि इस टेस्ट में क्या निकलता है। लेकिन हिंदुस्तान यूनिलीवर ने तो इस बात से साफ इनकार कर दिया है कि उनसे किसी भी सैंपल की मांग की गई है। इसमें कुछ न कुछ गड़बड़ तो है जिसका पता एफडीआई के एसीपी प्रद्युमन लगा ही लेंगे।