विस्तार
दिल्ली के चिड़ियाघर को एक बहुत बड़ी हानि हुई है। यहां पर चार मॉनिटर छिपकलियां थीं। इन चारों की ही मौत हो गई है। इसके बाद अब यहां कोई मॉनिटर नहीं बची है। इसकी वजह जानकार आपको लगेगा कि चिड़ियाघर प्रशासन आखिर इतना गैर ज़िम्मेदार कैसे हो सकता है।
पोस्टमॉरटम रिपोर्ट के मुताबिक़ इन सभी की मौत शॉक लगने की वजह से हुई है।
मॉनिटर छिपकली हर साल नवंबर से मार्च के महीने में शीत निद्रा में चली जाती हैं। इस दौरान उन्हें बिल्कुल छेड़ा नहीं जाता है। उन्हें खाना भी नहीं दिया जाता है। लेकिन 28 जनवरी को इनके केयर टेकर ने इन्हें नींद से जगा दिया जिससे ये सब शॉक में आ गए। यदि शीत निद्रा के दौरान इन्हें किसी भी तरह की हानि पहुंचाया जाता है तो इनके शरीर के तापमान में बड़े बदलाव आ जाते हैं।
ये फ्लकचुएशन इनकी सेहत के लिए हानिकारक होते हैं। लेकिन इन्हें जगाए जाने के बाद चार में से 2 छिपकलियां 1 और 2 फ़रवरी को मर गईं और बाकी दो की मौत 11 और 15 फ़रवरी को हुई। इनको काफ़ी कड़ी निगरानी में रखा गया था फिर भी ये बच नहीं सकीं।
चिड़ियाघर प्रशासन से रियाज़ खान ने बताया कि जिस रेंजर ने इन दोनों छिपकलियों को बिना पूछे बाहर निकाला था उसके खिलाफ़ कड़े कदम उठाए गए हैं। अभी कुछ समय पहले ही चिड़ियाघर करीब तीन महीनों तक बंद रहा। यहां बर्ड फ़्लू की वजह से 14 पक्षियों की मौत हो गई। एक जंगली भैंसे ने भी कुछ समय पहले ही दम तोड़ दिया।
अब सवाल ये पैदा होता है कि क्या इन रेंजर्स को ढंग से ट्रेनिंग नहीं दी जाती? ये कोई छोटी बात नहीं है। जो जानवर सर्दियों में शीत निद्रा में जाते हैं उसका एक यही कारण होता है कि वो ठंड से अपनी रक्षा नहीं कर सकते और उन्हें अपने शरीर की गर्मी को बनाए रखने के लिए ऐसा करना पड़ता है। ऐसे कई जानवर हैं जो शीत निद्रा में जाते हैं।
ऐसे में एक रेंजर से ये उम्मीद नहीं की जाती है कि वो बिना पूछे किसी जानवर को ऐसे छेड़ देगा। ये एक ऐसी हानि है जिसकी भरपाई में काफ़ी दिन लग सकते हैं। चिड़ियाघर में किसी नए जानवर को लाने के लिए बहुत सिर-पैर मारने पड़ते हैं। ऐसे में चिड़ियाघर में किसी रेंजर की गलती से एक जानवर की मौत हो जाना, उस चिड़ियाघर की छवि के लिए बहुत हानिकारक है।