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कहने वाले ने ठीक ही कहा है कि,
"मंजिल उन्ही को मिलती है, जिनके सपनो में जान होती है
पंख से कुछ नहीं होता,हौसलों से उड़ान होती है।"
जीत उन्हीं की होती है जिनके हौसले की ताकत के आगे जीवन के सभी अभाव, तंगी, कमी औऱ सारा आसमान भी छोटा पड़ जाए । कुछ ऐसी ही है दिल्ली के रहने वाले निसार अहमद की कहानी जिसे आपने कुछ वक्त पहले पढ़ा ही होगा । निसार के पिता रिक्शा चलाकर और मां साफ सफाई का काम करके अपनी आजीविका चलाते हैं । 16 साल के निसार अपने लक्ष्य को भेदने की तैयारी में जुटे हैं । निसार को न ही उनकी स्थितियां बांध सकीं और न ही कोई और अड़चन उनके कदमें की गति को रोक सकी । निसार दौड़े और इतनी तेज दौड़े कि जमैका के बोल्ट तक पहुंच गए ।
निसार की दौड़ने की कहानी सुनकर पहले ही अच्छे अच्छे एथलीटों के माथे पर पसीने आ गए थे । और अब भारत के इस 'उसेन बोल्ट' को जमैका के रेसर उसेन बोल्ट के क्लब में ट्रेनिंग के लिए दाखिला भी मिल गया है । निसार के इस दाखिले की खबर सुनकर उनका पूरा परिवार बेहद खुश है । बहुत कम आमदनी और अभावग्रस्त अवस्था के साथ उनके लिए ऐसी खुशी शायद कल्पना में भी नहीं होगी ।
किसी को घर बैठे अवसर नहीं मिलता, उसके लिए मेहनत करनी पड़ती है, कड़ी लगन से काम करना होता है । उसी तरह निसार को भी ये अवसर यूं ही नहीं मिला, सबसे पहले 100 मीटर की रेस को निसार ने 11 सेकेंड में पूरा किया । 200 मीटर की दौड़ को निसार ने 22.08 सेकेंड में पूरी कर लिया। अपनी कैटेगरी में नेशनल लेवल पर इन दोनों रेंज में निसार रिकॉर्ड होल्डर हैं, उसैन बोल्ट को आज तक का सबसे तेज धावक माना जाता था, 200 मीटर में बोल्ट का रिकॉर्ड 20.61 सेकेंड का है।
गैस अथॉरिटी ऑफ इंडिया और स्पोर्ट्स मैनेजमेंट कंपनी एंग्लियन मैडल हंट ने निसार के सपनों को पंख देने का काम किया है। उन्होने केरल, तमिलनाडु, उत्तराखंड, ओडिशा और दिल्ली से कुल 14 बच्चों को इस ट्रेनिंग के लिए चुना, जिनमें निसार का नाम भी शामिल है। अब इस सोने को तराशने का काम करेंगे उसैन बोल्ट के कोच ग्लेन मिल्स ।
हवा की तेजी से दौड़ने वाले निसार की गति के आगे कई महारथियों के पैर शिथिल पड़ने लगे हैं ।देश के इस धावक की दौड़ अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के चर्मोत्कर्ष पर पहुंचे, उनका अपने पैशन के लिए समर्पण और त्याग पूरे देश के लिए गर्व की बात है ।