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कहा जाता है कि जिस घर में बुजुर्ग न हों उस घर से रौनक चली जाती है। लेकिन आजकल कम ही लोग अपने घरों में बुजुर्गों को रखना पसंद करते हैं। अब तो पति-पत्नी और बच्चे घर से कहीं दूर बसेरा डालते हैं और मां-बाप को वृद्धाश्रम का दरवाजा दिखा देते हैं। ऐसे बुजुर्गों के लिए 23 साल का यश पाराशर नाम का एक युवक उम्मीद की एक किरण बनकर सामने आया है।
इस लड़के को खुद के घर में दादी-नानी की कमी खल रही थी। लेकिन इस कमी को दूर करने के लिए उसने एक नया और अनोखा कदम उठाया। इस शख्स के घर में कई बुजुर्ग एक ही छत के नीचे में खुशी-खुशी रहते हैं। इंदौर का ये युवक अभी तक 24 बुजुर्गों को यहां ला चुका है, जिनमें से 16 बुजुर्गों के परिजनों से काउंसलिंग कर उन्हें वापस परिवार में शामिल करा चुका है।
तमाम बुजुर्ग सड़क पर, अस्पतालों में, मंदिर और हर कहीं लाचार और बेसहारा भटकते हुए दिखाई देते हैं। लेकिन इस शख्स ने जब एक लाचार वृद्ध महिला को एक अस्पताल में देखा तो उसे अपने घर ले आया और अपने छोटे से घर में जगह दी। साथ ही इस बुजुर्ग महिला की देखभाल की जिम्मेदारी भी ली।
युवक के इस कदम से उसके कई दोस्त भी प्रभावित हुए। दोस्तों ने युवक से ऐसे कई और बुजुर्गों के बारे में जानकारी साझा की और घर में एक वृद्धा को और लाने का फैसला लिया गया। इस तरह घर में सदस्यों की संख्या बढ़ती गई। इस कारण अलग से घर लेना पड़ा, जिसका नाम रखा गया 'श्रीराम निराश्रित वृद्धाश्रम'।
युवाओं की पहल अब ऐसे ही बुजुर्गों के लिए नया परिवार बना रही है जिसमें 70 की दहलीज पार कर चुके बुजुर्ग बतौर दादा-दादी बनकर रह रहे हैं और पोते-पोतियों के रूप में युवाओं की टोली इनकी देखभाल कर रही है। इंदौर के गांधी नगर स्थित किसी घर में अगर बहुत से बुजुर्ग साथ में हंसी-खुशी रहते दिखें तो समझ जाएं कि यह श्रीराम निराश्रित वृद्धाश्रम ही है जहां युवाओं की कोशिश कई बुजुर्गों की जिंदगी खुशनुमा बना रही है।
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