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टीम इंडिया इस समय सातवें आसमान पर है, रविवार रात खेले गए निडास ट्रॉफी के फाइनल मुकाबले में उसने बांग्लादेश को जिस तरह मात दी उससे हर कोई बाग-बाग है। सोशल मीडिया से लेकर आम आदमी तक हर जगह टीम की जीत और उसके हीरो दिनेश कार्तिक के ही चर्चे हैं।
हो भी क्यों न आखिर दिनेश कार्तिक ने ही तो बिल्कुल हार के जबड़े में जा चुकी टीम इंडिया को अकेले दम बाहर निकालकर जीत की दहलीज तक पहुंचाया। उन्होंने जिस अंदाज में पारी खेली उसे देखकर लग ही नहीं रहा था कि उन पर किसी भी तरह का प्रेशर हो, मैच के दौरान घोर तनाव भरे क्षणों में उनके चेहरे पर कोई शिकन नहीं दिखी।
उन्होंने बेलौस अंदाज में आखिरी गेंद पर छक्का मारकर इस तरह टीम इंडिया को मैच जिताया जैसे उन्हें किसी तरह की टेंशन ही न हो। यही दिनेश कार्तिक की खूबी भी है, वह कभी अपना धैर्य नहीं खोते, तब भी नहीं जब उन्हें लाख अच्छे प्रदर्शन के बाद भी टीम इंडिया में जगह नहीं दी जाती और तब भी नहीं जब उनका बचपन का प्यार उन्हें छोड़कर किसी और की बाहों में चला जाए।
दिनेश कार्तिक सबकुछ चुपचाप सहते हैं और सिर्फ उस वक्त का इंतजार करते हैं जब उन्हें खुद को साबित करने का मौका मिल सके। वो दिनेश कार्तिक ही हैं जिन्होंने हर मौके पर खुद को साबित किया लेकिन किस्मत से हार गए।
आज बेशक टीम इंडिया ने निडास ट्रॉफी का टी 20 फाइनल दिनेश कार्तिक के दम पर जीता हो लेकिन कम ही लोग जानते हों कि टीम इंडिया के पहले टी 20 मैच में भी जीत दिनेश कार्तिक के बल्ले से ही निकली थी, जब उन्होंने साउथ अफ्रीका के खिलाफ हारी हुई बाजी को पलटकर जीत भारत के पलडे में डाल दी थी।
दिनेश कार्तिक की बदकिस्मती रही कि उन्हें क्रिकेट में जो मुकाम मिलना चाहिए था वो खूब प्रतिभाशाली होने के बावजूद आज तक नहीं मिल पाया। नवंबर 2004 में आस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट डेब्यू करने के बाद भी वह आज तक मात्र 23 टेस्ट मैच ही खेल पाए हैं।
उनकी सबसे बड़ी बदकिस्मती ये रही कि वो क्रिकेट में उस दौर में टीम इंडिया में आए जब महेन्द्र सिंह धोनी का युग था और उस दौर में धोनी ने टीम इंडिया में दूसरे विकेटकीपर की जरूरत बिल्कुल ही खत्म कर दी थी।
नतीजतन हर बार कार्तिक कीपर की बजाय बल्लेबाज के तौर पर टीम इंडिया का दरवाजा खटखटाते रहे, लेकिन वहां लाइन इतनी लंबी थी कि उन्हें मिलने वाले अवसरों में हमेशा कटौती ही होती रही। यही कारण रहा कि 14 साल पहले डेब्यू करने के बाद भी कार्तिक आज तक मात्र 79 वनडे ही खेल पाएं हैं।
हालांकि इस बीच में ऐसे कई अवसर आए जब कार्तिक को टीम इंडिया में जब तब मौका मिला और उन्होंने टीम को जिताकर अपनी उपयोगिता साबित की, लेकिन उनके साथ जिंदगी की अगर मगर हमेशा चलती रही। यहां तक की उनका वैवाहिक जीवन भी उथल पुथल भरा रहा। बचपन में जिस लड़की से वह दीवानों की तरह मोहब्बत करते थे तमाम उलझनों के बाद उसे अपनी जीवन संगिनी बनाया।
दोनों का वैवाहिक जीवन सुखमय चल ही रहा था कि एक अन्य क्रिकेट खिलाड़ी ने उन दोनों की जिंदगी में दस्तक दी और उनका प्यार उनसे अलग होता चला गया। एक दिन उन्हें पता चला कि उनकी पत्नी उन्हें नहीं उस खिलाड़ी को चाहती है जो टीम में उनके साथ खेलता है।
वो खिलाड़ी था टीम इंडिया का एक और अन्य सितारा मुरली कार्तिक जिसके प्यार में कार्तिक की पत्नी निकेता उन्हें छोड़ने को भी तैयार हो गई थी। इन सबसे कार्तिक का दिल ऐसा टूटा कि उन्होंने निकेता को तलाक देना का फैसला कर लिया उस समय निकेता प्रेग्नेंट थी लेकिन कार्तिक ने उस बच्चे पर हक जताने से इंकार कर दिया और दोनों अलग हो गए।
तलाक के कुछ दिन बाद ही निकेता ने मुरली विजय से शादी कर ली। वो कार्तिक के जीवन का सबसे खराब दौर था वो टीम इंडिया से भी बाहर थे और पत्नी भी उन्हें छोड़कर जा चुकी थी।
इसके बाद उन्होंने दोबारा खुद को समेटा और उठ खड़े हुए, इस बीच उनकी मुलाकात हुई भारत की टॉप स्कवैश खिलाड़ी दीपिका पल्लीकल से जिन्होंने कार्तिक को सहारा दिया। दोनों एक दूसरे के नजदीक आए और साल 2015 में दोनों ने शादी कर ली। वक्त बदला और कार्तिक एक बार फिर पूरी तैयारी के साथ टीम इंडिया में जगह बनाने के लिए तैयार हैं।