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भूलना एक बीमारी है लेकिन लोग मानते नहीं है। जबरदस्ती एक्टिंग करते हैं कि वो कुछ भूले ही नहीं। कई बार जब पुराने लोग मिल जाते हैं तो बतियाने के बाद भी याद नहीं आता है कि ‘अरे यार इससे मिला कहां था’। भूलने की बात नहीं स्वीकारने में सबसे आगे रहती हैं मम्मी लोग। ये किचन से चलती हैं कुछ सामान निकालने के लिए और फ्रिज तक आते-आते भूल जाती हैं। फिर बच्चों को डांट के चली जाती हैं। बच्चा दिमाग खुजा के सोच रहा होता है मम्मी डांटने के लिए फ्रिज क्यों खोल लेती हैं। बहरहाल बात यहां भूलने की हो रही थी, एक भाइसाहब इतने भुल्लकड़ निकले की कार पार्किंग में खड़ी करके भूल गए और 20 साल तक उन्हें याद ही नहीं आया कि कार खड़ी कहां की थी। हद है यार…
तो घटना जर्मनी की है। जर्मनी के फ्रैंकफर्ट शहर में एक साहब किसी काम से आए और अपनी कार खड़ी करके चलते बने। शायद ये उस कैटेगरी के शख्स थे जो सिर पर चश्मा लगाकर कार में अपना चश्मा ढूंढा करते हैं। भाइसाहब को कार भूले 20 साल हो चुके थे, अब जब कार मिली तो उम्र 76 तक पहुंच चुकी है। जब कार पार्क की थी तब इनकी उम्र 56 साल थी। इन्होंने अपनी कार 1997 में शहर के एक मार्केट के पास बनी इमारत में खड़ी की थी। जब कार नहीं मिली तो पुलिस को भी इत्तला दी लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं हुआ था।
दरअसल ये कार जहां खड़ी थी वहां की इमारत को ढहाने का आदेश आया। आदेश के बाद उस इलाके को खाली किया जाने लगा। सब अपना सामान लेकर इधर-उधर हो रहे थे लेकिन कार को कोई पूछने वाला नहीं था। अधिकारियों ने कार की जांच पड़ताल की तो मालिक का पता चला, फिर मालिक तक कार पहुंचाई गई। बीस साल पहले खोई गाड़ी पाकर कार मालिक खुश तो हुआ लेकिन हालत देखकर खुशी फुर्र हो गई। कार जंग की भेट चढ़ चुकी है। आज नहीं तो कल, ये कार कबाड़ वाले के भेंट की जाएगी।