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फ्री की एडवाइस देने वाले तो इस दुनिया में बहुत से लोग मिल जाएंगे, लेकिन जबबात किसी की मदद की आती है तो सभी पीछे हट जाते हैं। कोई किसी जानकार की भी मदद नहीं करता फिर किसी अंजान की मदद की तो बात ही दूर। लेकिन इस इंसान वो किया है जो यह बताता है कि इंसानियत अभी जिन्दा है, लोगों का दिलो में इंसानियत अभी भी जिन्दा है। आइए बताते हैं इंसानियत का पाठ पढ़ाने वाली कहानी के बारे में...
दरअसल कुछ लोग ऐसे भी है जो दूसरों कि दुःख तकलीफ से खुद भी दुखी हो जाते है और उस व्यक्ति के दुःख को दूर करने के लिए हर कोशिश करते हैं। इस कहानी में एक रेस्टोरेंट मालिक ने अपने यहां काम करने वाली एक वेट्रेस के इलाज के लिए अपना एक मात्र रेस्टोरेंट ही बेच दिया। आपकी कमी का मात्र एक जरिया हो आप उसे भी किसी और की खातीर बेच दें....ये करना हर किसी के बस की बात नहीं
अमेरिका के टेक्सास स्थित कैसहोफ रेस्टोरेंट के मालिक ‘माइकल डे बेयर’ ने अपने रेस्टोरेंट में काम करने वाली 19 साल की वेट्रेस ब्रिटनी मैथिस के ब्रेन ट्यूमर के इलाज़ के लिए अपना रेस्टोरेंट बेच दिया है।
दरअसल डॉक्टरों को ब्रिटनी मैथिस के ब्रेन ट्यूमर की बीमारी का तब पता चला जब वह अपने पैर पर हुई ददौरी को दिखाने पहुंची थी। मैथिस ने बताया कि जब वह हॉस्पिटल गई तो डॉक्टरों पाया कि यह रक्त का जमाव है। डॉक्टरों ने उसका सीटी स्कैन और एमआरआई करवाया। इसके बाद अगले दिन जब वह फिर अस्पताल पहुंची तो उन्होंने मैथिस को बताया कि उसे ट्यूमर हुआ है।
डॉक्टरों ने मैथिस के बताया कि इस बीमारी के इलाज़ में बहुत खर्चा आएगा। 19 साल की मैथिस के पास न तो कोई हेल्थ इंश्योरेंस था और ना ही कोई अन्य बीमा। मैथिस ने जब यह समस्या अपने बॉस माइकल के सामने रखा तो, उन्होंने 6000 वर्गफीट में फैले अपने रेस्टोरेंट को बेचने का फैसला किया।
मैथिस ने बताया कि उसने ऐसा कभी नहीं सोचा था कि उसके लिए कोई ऐसा भी कर सकता है। वह मेरे लिए इतना कर रहे हैं यह मेरे लिए सच में बहुत बड़ी खुशी है। दूसरी तरफ माइकल का कहना है कि “हमारे यहां काम करने वाले सभी लोग एक परिवार के सदस्य की तरह हैं। इसलिए उनकी हर दुःख तकलीफ में साथ देना मेरा दायित्व है”। ऐसे लोग इस दुनिया में बहुत कम मिलते हैं...
आज के जमाने में यह घटना हम सब के लिए प्रेरणा दायक है।