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रातों की भूख हो या दोपहर की थकान, पार्ले जी ही है सही समाधान। कुछ सेहतमंद खाना हो या चाय की चुस्कियों का कोई साथी चाहिए, पार्ले जी है न। देश के घर-घर में जाना जाने वाला पार्ले जी हम सभी के लिए सबसे सेहतमंद और सस्ता बिस्किट माना जाता है। पार्ले-जी सबसे पुराने ब्रांड नामों में से एक होने के साथ-साथ दुनियाभर में सबसे ज्यादा बिकने वाला बिस्किट है।
दुनिया में नंबर 1
ऑल इंडिया नील्सन सर्वे रिपोर्ट के आंकड़ों के अनुसार पारले प्रोडक्ट्स बिस्किट कंपनी शेयर के मामले में ब्रिटानिया से 0.5 फीसदी पीछे थी। इसके बावजूद सबसे ज्यादा बिक्री के मामले में पारले-जी नंबर वन पर है। यह बिस्किट देश के हर कोने में उपलब्ध है। इतना ही नहीं विदेश में भी पार्ले-जी की बहुत ज्यादा डिमांड है। इन्हीं वजहों से यह बिस्किट देश और दुनिया में नंबर 1 है। भारत के ग्लूकोज़ बिस्किट श्रेणी के 70% बाजार पर इसका कब्ज़ा है, इसके बाद नंबर आता है ब्रिटानिया के टाइगर (17-18%) और आईटीसी के सनफीस्ट (8-9%) का।
रेलवे स्टेशन विले पार्ले से मिला नाम
1929 में भारत जब ब्रिटिश शासन के अधीन था तब पारले जी पार्ले प्रोडक्ट्स नामक एक छोटी कंपनी का निर्माण हुआ था। "पार्ले जी" नाम को मुंबई के उपनगरीय रेलवे स्टेशन विले पार्ले से लिया गया है। यह पार्ले नामक पुराने गांव पर आधारित है। मुंबई के उपनगर विले पारले जी (पूर्व) में मिठाइयों तथा टॉफियों के उत्पादन के लिए एक छोटे कारखाने को स्थापित किया गया। एक दशक बाद वहां बिस्किट का उत्पादन भी शुरू कर दिया गया जिसके बाद से बढ़कर यह भारत की सबसे बड़ी खाद्य उत्पाद कंपनियों में से एक हो गयी है। आज पार्ले जी बिस्किट 2 रूपये से लेकर 50 रूपये तक आता है लेकिन सबसे ज्यादा बिकने वाले पैकट 5 रूपये वाला ही है।
हर सेकंड में 4.5 हजार लोग खाते हैं यह बिस्किट
पार्ले जी बिस्किट समाज का हर वर्ग चाहे वो गरीब हो या करोड़पति, चाहे वो बच्चा हो या बूढ़ा, हर कोई खाता है। पार्ले-जी अकेला ऐसा बिस्किट है जो कि गांवों से लेकर शहरों तक में एक ही रेट से बिकता है और दोनों जगह ही इसकी लोकप्रियता एक समान है। 2009-10 के आंकड़ों पर गौर करें तो पार्ले-जी की बिक्री दुनिया के चौथे सबसे बड़े बिस्किट उपभोक्ता मुल्क चीन से भी ज्यादा है। भारत से बाहर पारले-जी यूरोप, ब्रिटेन, अमेरिका, कनाडा आदि में भी उपलब्ध है। यही वजह है कि हर सेकंड में 4.5 हजार लोग यह बिस्किट खाते हैं।