साल 2006, महीना जनवरी का और तारीख 16 जनवरी। लाहौर के गद्दाफी स्टेडियम में क्रीज़ पर उतरा हुआ था, मुल्तान का सुल्तान। पाकिस्तान ने टॉस जीत कर पहले बल्लेबाजी किया था। स्कोर बोर्ड पर 679 रन जुड़ चुके थे। युनुस खान दोहरे शतक से चूके थे। और मोहम्मद युसूफ ने लंबी पारी खेली थी। पाकिस्तान की तरफ से कुल 4 शतक जड़ दिए गए थे। मामला था पहली इनिंग का।
अब बारी थी, इंडिया की। मैदान पर बरसात करने की। पानी की नहीं, रनों की। पाकिस्तान मजबूत हालात में था। रनों की शख्त जरूरत। सुल्तान अब मैदान पर था। सहवाग ने ना आव देखा न ताव। सोंटना शुरू किया। 247 गेंदें खेली। करीब 42 ओवर। अकेले। 47 चउवे मारे थे और 1 छक्का।
इसी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जो इंसान गेंद को बाउंड्री के बहार उड़ता हुआ भेजने में भरोसा रखता है। उसने बॉल को जमीन के साथ भेजा था। संयम! लोग वाह, वाह कर रहे थे। उम्मीद थी सुल्तान आज एक और तिहरा जड़ेगा। लेकिन नवेद-उल हसन की एक गेंद बल्ले को छूते हुए पीछे कीपिंग कर रहे कामरान अकमल के हाथ में गई। सुल्तान पवेलियन की तरफ। लौट रहा था। लेकिन इसने अपने हिस्से का काम कर दिया था।
द्रविड़ एक किनारे बने हुए थे। 128 रनों की पारी खेली थी। 233 गेंदें झेली थी। इंडिया की पहली पारी 410 पर खत्म हुई।
11 years ago, had the privilege to celebrate #PakistanKaBhootBanaya Diwas ! pic.twitter.com/r9pmcbzohi
— Virender Sehwag (@virendersehwag) January 16, 2017
@virendersehwag aesa bhi hua tha is series mein pic.twitter.com/IuQfkavCH8
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