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हाइड्रोजन गैस से चलने वाली ‘हाइडरेल’ का परीक्षण करने में जर्मनी दुनिया का पहला देश बन गया है। यह ट्रेन पूरी तरह से उत्सर्जन से मुक्त है और इसकी रफ्तार व यात्रियों को ले जाने की क्षमता किसी भी डीजल ट्रेन के समान है। बल्कि यह ट्रेन पारंपरिक डीजल इंजन की तुलना में 60 फीसदी शोर कम करती है।
फ्रांसीसी कंपनी अलस्टॉम के येंस स्प्रोटे ने बताया कि ‘हाइडरेल’ ट्रेन डीजल इंजन जैसी तकनीक का इस्तेमाल करती है। फर्क सिर्फ इंजन की बनावट और ईंधन में होता है। ट्रेन में डीजल की जगह फ्यूल सेल, हाइड्रोजन और ऑक्सीजन का इस्तेमाल होता है। ऑक्सीजन की मदद से हाइड्रोजन नियंत्रित ढंग से जलती है और इस ताप से बिजली पैदा होती है। बिजली लीथियम आयन बैटरी को चार्ज करती है और ट्रेन चलती है। इस दौरान धुएं की जगह सिर्फ भाप और पानी निकलता है।
जर्मनी के पांच राज्य फ्रांसीसी कंपनी से ऐसी 60 ट्रेनें खरीदना चाहते हैं। दो डिब्बों वाली एक ट्रेन को एक फ्यूल सेल और 207 पाउंड के हाइड्रोजन टैंक की जरूरत होगी। एक बार हाइड्रोजन भरने पर ट्रेन 650 किलोमीटर की यात्रा कर सकती है। योजना के मुताबिक 2018 में सार्वजनिक परिवहन के लिए ‘हाइडरेल’ उतारी जाएंगी। डेनमार्क, नॉर्वे, यूके और नीदरलैंड्स ने भी इन ट्रेनों को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है।