बचपन में हर दिन प्रार्थना के बाद ली जाने वाली प्रतिज्ञा भले ही हमें पूरी की पूरी न याद हो लेकिन उसका पहला वाक्य 'भारत हमारा देश है, हम सब भारत वासी भाई-बहन हैं', तो कम से कम सभी को याद होगा। लगातार बारह सालों तक इस वाक्य को रटने के बावजूद बहुत से लोग इसे अपने दिल में नहीं उतार पाए हैं और यही वजह है कि कुछ लोग हमेशा ही अपने निजी स्वार्थ के लिए देश का माहौल बिगाड़ने की कोशिश करते रहते हैं। ये हमारे देश के सौहार्द्र के लिए बेहद बुरा है, लोगों का विश्वास दिन पर दिन एक दूसरे पर से कम होता जा रहा है। लेकिन अभी भी इस देश में ऐसे लोग हैं जिनपर नफरत के इस माहौल को कोई असर नहीं पड़ा है। वो अभी भी इंसान को इंसान के रूप में ही देखते हैं। हाल ही में पश्चिम बंगाल से एक ऐसी खबर आई है जो अपने मूल रूप में तो एक बुरी खबर है लेकिन इसे पढ़कर आपको थोड़ा सुकून जरूर मिलेगा।
मालदा के शेखपुरा गांव में कुछ मुस्लिम व्यक्तियों ने मिलकर एक हिंदू युवक का अंतिम संस्कार किया वो भी हिंदू रीति-रिवाजों के अनुसार। इतना ही नहीं रास्ते में इन सभी ने 'हरि बोल हरि' भी कहा। ये धार्मिक सद्भाव और एकता का एक बहुत बड़ा नमूना है और साबित करता है कि लोग अभी भी एक दूसरे की मदद करने में विश्वास रखते हैं।
बिस्वजीत रजक की बीते सोमवार की रात मृत्यु हो गई थी। रजक का परिवार बेहद गरीब था। उनके पास उसका अंतिम संस्कार करने के लिए न तो पर्याप्त धन था न ही लोग। रजक की मां बताती हैं कि "हमारे पास अपने बेटे के अंतिम संस्कार के लिए बिल्कुल पैसे नहीं थे। हम पूरी रात उसके मृत शरीर के पास बैठकर रोते रहे। हमें समझ नहीं आ रहा था कि अब हमें क्या करना चाहिए।"
जल्द ही रजक की मृत्यु की खबर गांव में फैल गई और ये बात मस्जिद तक पहुंच गई। गांव के मुस्लिम समुदाय ने यह तय किया कि वो रजक का अंतिम संस्कार करेंगे। सभी ने मिलकर पहले इसके लिए पैसे इकट्ठे किए। यहां तक कि स्थानीय इमाम ने भी अंतिम संस्कार में हिस्सा लिया।
"सुबह हमारे पड़ोसी आए और उन्होंने हमारे बेटे को बांस की चारपाई पर रखा और गांव से 8 किमी दूर मानिकचक मैदान तक ले गए। उन्होंने रास्ते में हिंदू मंत्र 'बोलो हरि हरि बोल' भी बोले"।
गांव के एक युवा अशरफ ने कहा कि हिंदू और मुस्लिम 2 बच्चों की तरह हैं। हम सभी लोग यहां एक दूसरे का ध्यान रखते हैं। आखिरकार हम पहले इंसान हैं।
ये वही पश्चिम बंगाल है जहां से सोनू निगम के खिलाफ फतवा जारी हुआ था और आए दिन जहां से साम्प्रदायिक दंगों की खबरें आती रहती हैं। ऐसे में कई लोग समझते हैं कि यहां हिंदू और मुस्लिमों के बीच कुछ परेशानी चल रही है। लेकिन इस तरह की घटनाएं ये साफ कर देती हैं कि इस दुनिया में अभी भी मानवता बची हुई है।
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